Bihar News: अररिया की अदालत ने स्पीडी ट्रायल के तहत एक बेहद जघन्य अपराध का फैसला सुनाया. सात साल की बच्ची को वेश्यावृत्ति के लिए बेचने के मामले में उसकी मां समेत चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. जिला एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी ने महज 66 दिनों में यह फैसला सुनाया. अदालत ने आजीवन कारावास के साथ-साथ प्रत्येक आरोपी पर विभिन्न धाराओं के तहत 5 लाख 90 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
50 हजार में हुआ था सौदा
जानकारी के अनुसार, लड़की की मां ने अपनी ही बेटी को मो. सहरुल उर्फ सोनू को 50 हजार रुपये में बेच दिया था. यह पैसा मां के खाते में ट्रांसफर किया गया था. मो. सहरुल उर्फ सोनू ने लड़की को देह व्यापार के लिए खरीदा था. जिसके बाद रानीगंज थाने में कांड संख्या 328/2024 के तहत मामला दर्ज किया गया था. पुलिस की त्वरित कार्रवाई और समय पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की वजह से जल्द सुनवाई संभव हो सकी. कोर्ट ने आईपीसी की धारा 93, 98, 99, 111 (5) और 143 (4) के तहत संज्ञान लिया. 20 नवंबर 2024 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए.
कौन हैं दोषी?
इस मामले में दोषी ठहराए गए लोगों में रानीगंज प्रखंड के एक गांव की रहने वाली लड़की की मां भी शामिल है. आरोपियों में मुंबई के हिंगोली निवासी शाह मजहर (पिता शाह मंजूर), मधेपुरा के लक्ष्मीपुर भगवती वार्ड 10 निवासी मोहम्मद सहरूल उर्फ सोनू (पिता इलियास) और जहाना खातून (पति शाह मजहर) शामिल हैं.
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गवाहों के बयानों के आधार पर सजा
मामले में सुनवाई के दौरान गवाहों के बयानों से संतुष्ट होकर न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी ने सभी आरोपियों को दोषी पाया. बचाव पक्ष के वकील केएन विश्वास और एलएडीसी प्रमुख विनय ठाकुर ने अपनी दलीलें पेश कीं. लेकिन अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी पाया और सजा सुनाई.