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मुस्लिम भाईयों ने की पूरी रात अल्लाह की इबादत

कब्र पर जाकर पढ़ा फातिहा

इबादत, मगफिरत व रहमत की रात में अकीदतमंदों ने मांगी दुआएंमस्जिदों को आकर्षक रूप से सजाया गया व कब्रिस्तानों को किया रौशन :8- प्रतिनिधि, फारबिसगंज फारबिसगंज शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में गुरुवार की रात शब ए बरात का त्योहार मुस्लिम भाईयों ने बड़े ही अकीदत के साथ मनाया. इस मौके पर जहां मुस्लिम भाईयों ने शहरी सहित ग्रामीण क्षेत्रो के मस्जिदों व गांव, मुहल्ले को आकर्षक रूप से सजाया व लाइटिंग की व्यवस्था की. वहीं शहर के गोढियारे, मटियारी व आइटीआइ के समीप स्थित कब्रिस्तानों में भी रोशनी के लिए लाइटिंग की व्यवस्था की गयी थी. शहर के छोटी मस्जिद दरभंगिया टोला, मरकज जामा मस्जिद दरभंगिया टोला, जामा मस्जिद धत्ता टोला, अहले सुन्नत जामा मस्जिद जुम्मन चौक, अहले सुन्नत मदीना जामा मस्जिद गुदरी मुहल्ला, जामा मस्जिद दल्लू टोला, जामा मस्जिद कादरी टोला, जामा मस्जिद बिरवान टोला, जामा मस्जिद अली टोला सहित ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में अन्य मस्जिदों के गांव बस्तियों के सड़कों को आकर्षक रूप से सजाया गया था. शाम होते ही मुस्लिम भाईयों ने मस्जिदों में पहुंच कर इबादत करना शुरू कर दिया. मुस्लिम भाईयों ने शब ए बारात की सारी रात मस्जिदों में जागकर व अपने घरों में जगकर कुरआन ए पाक की तिलावत किया व नमाज पढ़ी. अल्लाह के इबादत में लगे रहे व अपने गुनाहों की माफी मांगते रहे. देर शाम से रात के अंतिम पहर तक मुस्लिम भाई कब्रिस्तानों में पहुंच कर अपने पूर्वजों के कब्र पर फातेहा पढ़ते रहे व अपने पूर्वजों के लिए भी अल्लाह के सामने हाथ उठा कर दुआ करते रहे. कब्रिस्तान में अपने पूर्वजों के लिए दुआ करने के बाद लोग फिर मस्जिद पहुंच कर सामूहिक रूप से अहले सुबह फज्र की नमाज अदा कर अल्ल्लाह के सामने हाथ फैला कर अपने गुनाहों की माफी मांगी व सुख समृद्धि, शांति, आपसी भाईचारा व हर प्रकार के जमीनी व आसमानी बलाओं से बचाने की अल्लाह से दुआएं की. यही नहीं शब ए बारात के दूसरे दिन मुस्लिम भाईयों ने रोजा भी रखा. ———-

विधि व्यवस्था को लेकर की गयी थी चाक चौबंद व्यवस्था

शब ए बरात के त्योहार के मौके पर विधि व्यवस्था व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशासन के द्वारा चाक-चौबंद व्यवस्था किया गया था. शाम के ढलते ही फारबिसगंज-अररिया मुख्य मार्ग एनएच 27 के आइटीआइ के समीप अवस्थित कटिंग पर व आइटीआइ कब्रिस्तान के आसपास व एनएच 27 से सटे ढोलबज्जा कब्रिस्तान के समीप, फारबिसगंज-जोगबनी मुख्य मार्ग एनएच 57ए के समीप मटियारी कब्रिस्तान के समीप व शहर के गोढियारे कब्रिस्तान के समीप पुलिस पदाधिकारियों व पुलिस बल सक्रिय होकर तैनात रहे. एनएच 27 के आइटीआइ के समीप कब्रिस्तान आने-जाने वाले लोगों को किसी प्रकार का कोई परेशानी नहीं हो. इसके लिए एनएच के कट पर वाहन धीरे चलने का बैरिकेटिंग लगाकर एनएच पर चलने वाली वाहनों को वाहन धीरे चलाने का सिंग्नल देते रहे व एनएच को पार करने वाले लोगों को भी आगे पीछे देख कर एनएच को पार करने के लिए जागरूक करते रहे. एसडीपीओ मुकेश कुमार साहा, थानाध्यक्ष राघवेंद्र कुमार सिंह सहित अन्य पदाधिकारीगण स्वयं देर रात तक शहर में व आइटीआइ कॉलेज के कटिंग के समीप पहुंच कर जायजा लेते रहे व शहर में लगातार भ्रमण करते रहे. इस मौके पर स्थानीय थाना के कनीय पुलिस पदाधिकारी पुलिस बलों के साथ अपने-अपने प्रतिनियुक्ति स्थल पर व शहर में भी लगातार भ्रमण करते रहे.

—————कब्रिस्तान की जियारत कर अपने-अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए मांगी दुआ

जोगबनी. गुरुवार की शाम सीमावर्ती शहर जोगबनी सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम समुदाय के अकीदतमंदों ने शब ए बरात अकीदत के साथ मनाया. शब-ए-बरात की इबादत करने के लिए शहर भर में कब्रिस्तानों व मजारों पर लोगों ने अपने-अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ मांगी. नफिल नमाजे पढ़ी व पवित्र कुरान की तिलावत किया. अकीदतमंदों ने सारी रात नमाज पढ़ी व अपने गुनाहों की माफी मांगी व पूर्वजों के लिए फातिहा पढ़ा. शब-ए-बरात पर शहर भर में महफिलों का दौर चलता रहा. वहीं दूसरी तरफ घर पकवान की खुशबू से महक रहे थे. लोगों ने अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए मजार व कब्रिस्तानों पर दुआ मांगी. हर किसी के लब पर यही दुआ जारी रही कि या परवरदिगार हमारे गुनाहों को बख्श दें. हमारे ऊपर रहमत नाजिल फरमा. वहीं घरों में मीठे पकवान पकाये गये. खासकर तरह तरह के हलवे बनाये गये. उस पर पुरखों की याद में नज्र कराई गयी. वहीं जोगबनी नगर परिषद क्षेत्र के छोटी मस्जिद, महमूदिया मदरसा, इस्लामपुर, अहमदपुर, खजूरबाड़ी, टिकुलिया, घुसकी, भीमसेना, मीरगंज, अमौना सिद्दिकी टोला, दीपोल, चकोड़वा, नगरमोरा सहित अन्य जगहों के मस्जिदों व खानकाओं को लाइट व झूमर से सजाया गया था. इन जगहों पर लोगों ने रात भर अल्लाह की इबादत की व अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए दुआएं मांगी. लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र के कब्रिस्तानों की जियारत कर दुनिया से गुजरे हुए लोगों को याद कर उनके लिए दुआएं मांगी.

————-जोकीहाट में अकीदत के साथ मनाया गया शब-ए-बरातजोकीहाट. प्रखंड क्षेत्र में शब ए बरात का पर्व अकीदत के साथ गुरुवार की रात मनाया गया. अकीदतमंद पूरी रात इबादत में डूबे रहे. अकीदतमंदों ने कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों के लिए फातिहा पढ़कर मगफिरत की दुआएं मांगी. शब ए बरात के दौरान अकीदतमंद प्रखंड क्षेत्र के मस्जिदों व इबादतगाह की साफ सफाई की. अरबी माह शाबान की 15वीं तारीख की रात शब ए बरात के रूप में मनाया जाता है. इस रात को जागकर इबादत की गयी. हाफिज इरफान ने बताया कि जो लोग इबादत में रात गुजारते हैं. अल्लाह उनके गुनाहों को माफ कर देते हैं. उन्होंने बताया कि सालभर के सभी काम के दौरान होने वाले गलतियों को भी अल्लाह माफ करते हैं. इस पर्व के दौरान अल्लाह अपने बंदों के लिए रहमत के दरवाजे खोल देते हैं. कुछ लोग इस दौरान रोजा भी रखकर इबादत करने में जुटे रहे. पूर्व मंत्री सह जोकीहाट विधायक शाहनवाज आलम ने अपने पिता तस्लीमुद्दीन के कब्र पर जाकर उन्हें याद किया व अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी. इस अवसर पर नगर पंचायत जोकीहाट के अतिरिक्त महलगांव, चीरह, केसर्रा, हरदार, पथराबाड़ी, सिमरिया, काकन, बगडहरा, तारण, डूबा, भगवानपुर, भंसिया सहित पूरे प्रखंड क्षेत्र में अकीदत के साथ शब ए बरात का पर्व मनाया गया.

—————–अपने पुरखों की कब्र पर जलाई मोमबत्ती सिकटी. प्रखंड क्षेत्र में अकीदत व एहतराम के साथ शब ए बरात पर्व मनाया गया. लोगों ने कब्रिस्तान में जाकर मरहुमीन की कब्रों पर मोमबत्ती जलाकर चिराग जलाया व अपने मरहुमीन की फातेहा पढ़ी. गुरुवार को शब ए बारात के पर्व पर नियाज नजर के बाद पुरखों की फातेहा पढ़ी. घरों, मस्जिदों, इमाम, बारगाहों को सजा कर मस्जिदों में विशेष इबादत अदा की गई. उलेमाओं ने बताया कि इस रात की इबादत का शवाब सैकड़ों रातों की इबादत से ज्यादा है. अल्लाह इस रात गुनाहों से तौबा करने वालों के गुनाह माफ कर देता है. मस्जिदों में शब ए बारात के विशेष अमाल अदा कराए गए. मुल्क व कौम के लिए दुआ कराई गई. इस मौके पर पढ़ाओ समाज ट्रस्ट निदेशक मुन्ना मुस्ताक ने कहा कि इस्लाम में तीन रातें शब ए मेराज, शब ए कद्र व शब ए बारात की रात अफजल है. इसमें शब ए बारात की रात गुनाहों से मुक्ति की रात है. सुरक्षित समाज कल्याण ट्रस्ट के जफर अररियावी ने बताया कि शब-ए-बारात को इस्लाम धर्म में प्रायश्चित की रात माना जाता है. यह वह रात है, जब अल्लाह आने वाले वर्ष के लिए व्यक्तियों की नियति निर्धारित करते हैं. ईमानदारी से पश्चाताप करने वालों के पापों को माफ कर देते हैं. इस पवित्र रात में लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने व अल्लाह से माफी मांगने के लिए इकट्ठा होते हैं.

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