कोई भी कौम तालीम के बगैर तरक्की नहीं कर सकता: अहमद वली फैसल रहमानी

कदवा मरसा में हुआ आयोजन

By Prabhat Khabar News Desk | November 20, 2024 7:31 PM

तालीम, तामीर,इत्तेहाद व जलसा दस्ताबंदी का हुआ आयोजन जिले के रानीगंज स्थित कदवा मदरसा में हुआ आयोजन फोटो-2-जलसा को संबोधित करते अमीर ए शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी. प्रतिनिधि, अररिया कोई भी मुल्क और कौम तालीम के बगैर तरक्की नहीं कर सकता है. तालीम से ही तरक्की के रास्ते खुलते हैं. ये बातें अमीर ए शरीयत बिहार झारखंड व उड़ीसा के अमीर ए शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने एक जलसा को संबोधित करते हुए कही. जिला के कदवा गांव स्थित मदरसा मदीनतुल उलूम कदवा के सौंजन्य से आयोजित तालीम, तामीर, इत्तेहाद कांफ्रेंस व इजलास ए दस्ताबंदी हफ़्फ़ाज़े कराम के जलसा के मौके पर अमीर ए शरीयत अहमद वली फैसल रहमानी की सदारत आयोजित जलसा में उन्होंने कहा कि बेहतर तालीम व बच्चों की बेहतर तरबियत हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. आज साइंस का दौड़ है ऐसे में बच्चों को दीनी ,अशरी तालीम के साथ साथ उन्हें आधुनिक व तकनीकी शिक्षा भी देना वक्त की जरूरत है. मौके पर मदरसा के नाजिम शमशुल कमर, मुफ्ती अलीम उद्दीन, काजी अतिकुल्लाह रहमानी, मुफ्ती इनामुल बारी कासमी, मुफ्ती अतहरुल कासमी, मो मोइनुल हक के अलावा एक दर्जन से अधिक उलेमाओं ने अपनी तकरीर पेश की मदरसा मदीनतुल उलूम कदवा रानीगंज में जलसा में इलाके के हजारों लोग शामिल हुए. वहीं रानीगंज के विधायक अचमित ऋषिदेव, मुखिया गण भी मौजूद थे. जलसा में 41 हफ्फाजे कराम की हुई दस्तारबंदी जलसा में 41 हफ्फाजे कराम की हुई दस्तारबंदी. इस मदरसा से तालीम हासिल कर हाफिज बने कुल 41 हुफ्फाज ए कराम की स्टेज पर अमीर ए शरीयत के हाथों दस्तारबंदी हुई. ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय सचिव व अमीर ए शरीयत फैसल रहमानी ने मौके पर कहा कि हाफिज वो होते हैं. जिनके सीने में कुरान पाक होता है. खुशनसीब हैं वो लोग जिनके बच्चे हाफिज बने हैं. सभी हुफ्फाजे कराम को पगड़ी बांधा गया. हाफिज बनने वालों में मो अल्लामा ,फिरदौस, रज़ानुर, तालिब, इमरान, वकार ,जुल्फेकार,अब्दुल्ला ,नवाब,इमाम उद्दीन सिराज,आसिफ , मुदस्सिर, नौरोज,आसिफ,फरमान ,शमशाद,शोहराब, जैद,आमिर, माबूद,आदिल,सैफुल्ला , गुफरान,हीफजुद्दीन,अमीन व नवेद आलम के अलावा अन्य हुफ्फाजे कराम शामिल हैं. देर रात पूरी दुनिया में आपसी भाइचारगी व अमन शांति की दुआ के बाद जलसा संपन्न हो गया. ——— वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ इमारत-ए-शरिया के शिष्टमंडल ने डीएम को सौंपा ज्ञापन फोटो-3- डीएम को ज्ञापन सौंपते इमारते शरिया के शिष्टमंडल. प्रतिनिधि, अररिया काजी मोहम्मद अतीकुल्लाह रहमानी, काजी-ए-शरीअत, दारुल-कज़ा इमारते ए-शरिया, गाछी टोला अररिया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने वक्फ संशोधन बिल 2024 के संदर्भ में अररिया के डीएम अनिल कुमार को एक 11 पृष्ठों का ज्ञापन सौंपा. यह ज्ञापन इमारते-ए-शरिया बिहार, ओडिशा, झारखंड की ओर से अमीर-ए-शरीअत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी के निर्देश पर तैयार किया गया था. ज्ञापन में भारतीय संविधान के संदर्भ में वक़्फ़ बिल के नुकसान को विस्तार से समझाया गया. यह स्पष्ट किया गया कि यह बिल न केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है, बल्कि वक़्फ़ अधिनियम 1995 में दिये गये अधिकारों और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 300 ए का भी उल्लंघन करता है. ज्ञापन में यह मांग की गयी कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इस बिल को किसी भी स्थिति में पारित न करे और भारत सरकार इसे तुरंत वापस ले. डीएम ने ज्ञापन को बिहार सरकार और जेपीसी के अध्यक्ष तक पहुंचाने का आश्वासन दिया. यह भी उल्लेखनीय है कि वक़्फ़ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ इमारते-ए-शरिया ने शुरू से ही सभी मुस्लिम संगठनों को साथ लेकर अभियान चलाया है.अमीर-ए-शरीअत के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संगठनों के प्रमुखों ने सत्तारूढ़ दल से अपील की है कि इस बिल को तुरंत खारिज किया जाये. जेपीसी को ईमेल भेजने का व्यापक अभियान चलाया, जिसके तहत 3 करोड़ 66 लाख 37 हजार 385 (36637385) ईमेल भेजे गये. अमीरे-ए-शरीअत के निर्देश पर वक़्फ़ के महत्व और बिल के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए गांव-गांव में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। यह अभियान अभी भी जारी है. प्रतिनिधि मंडल में मौलाना अब्दुल वहाब कासमी (काजी-ए-शरीअत, दारुल-कज़ा, बिसरिया, अररिया), मौलाना मोहम्मद सरफराज आलम रहमानी (नायब काजी-ए-शरीअत, दारुल-कज़ा, गाछी टोला, अररिया), मौलाना मुसव्वर नदवी (अध्यक्ष, पयाम-ए-इंसानियत), मौलाना शाहिद आदिल कासमी (प्रधानाचार्य, मदरसा इस्लामिया यतीमखाना, अररिया), मौलाना अब्दुल वारिस (महासचिव, तहफ्फुज़-ए-शरीअत, जोकीहाट), मुफ्ती हुमायूं इकबाल नदवी (उपाध्यक्ष, जमीयत उलेमा), सामाजिक कार्यकर्ता इम्तियाज़ अनीस उर्फ लड्डू, अब्दुल गनी लबीब (पूर्व अध्यक्ष, वक़्फ़ बोर्ड कमेटी, अररिया), कारी जसीम, हाफिज शब्बीर (शिक्षक, मकतब अमारत-ए-शरिया), कमर-उल-हुदा और फजलुर्रहमान समेत अन्य लोग शामिल थे.

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