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दुर्गा मंदिर जहानपुर में 200 वर्षों से हो रही पूजा

चर्चित दुर्गा मंदिरों में जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जहानपुर गांव स्थित दुर्गा मंदिर भी है. यहां करीब 200 वर्षों से दुर्गा पूजा की परंपरा है.

दास नदी के किनारे घने जंगलों में घंटों खुदाई के बाद मिली मां की अष्टधातु की प्रतिमा

मां की हर बात निराली, कोई भक्त नहीं जाता मां के दर से खाली हाथजोकीहाट.जिले में चर्चित दुर्गा मंदिरों में जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जहानपुर गांव स्थित दुर्गा मंदिर भी है. यहां करीब 200 वर्षों से दुर्गा पूजा की परंपरा है. गांव के आदि पुरुष भैया लाल ठाकुर के जमाने से यहां धूमधाम से पूजा अर्चना की जा रही है. मंदिर समिति के अध्यक्ष रंजीत ठाकुर ने बताया कि 10 दिनों तक मंदिर में दुर्गा सप्तशती पाठ, महिलाओं द्वारा संध्या आरती, कीर्तन भजन की परंपरा है. लोग बढ़-चढ़ कर नवरात्रि में उपवास रखकर पूजा अर्चना में डूब जाते हैं. रहटमीना गांव के पंडित विष्णु कांत झा विधि विधान के साथ मां की पूजा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कराते हैं. गांव के लोग जो भी देश परदेश में रहते हैं, सभी दुर्गा पूजा के अवसर पर घर आ कर माता की आराधना में जुट जाते हैं.

अष्टधातु की आठ व दस भुजाओं वाली माता की होती है पूजा

दुर्गा मंदिर जहानपुर की विशेषता है कि यहां मूर्ति स्थापित नहीं की जाती है, बल्कि 200 वर्ष पुरानी अष्टधातु की आठ व दस भुजाओं वाली दो माताओं की पूजा होती है. गांव के हाईस्कूल के सेवानिवृत्त शिक्षक सह वयोवृद्ध समाजसेवी महि नारायण झा ने बताया कि हमारे पूर्वजों को मां ने सपना दिया था. रातों रात हाथी घोड़े पर सवार होकर दास नदी के किनारे घने जंगलों में घंटों खुदाई के बाद माता प्रकट हुईंं. पूर्वज खुशी व भक्ति के साथ तबसे पूजा करते रहे हैं. इस वर्ष भी पूजा कमेटी के सदस्यों व ग्रामीणों की मदद से भव्य तरीके से मंदिर को सजाया गया है. इस अवसर पर युवाओं द्वारा भक्ति जागरण व मेले का भी आयोजन किया जाता है. यहां दुर्गा पूजा के दौरान दूर-दूर से भक्त पहुंचकर माता का दर्शन कर पूजा अर्चना व चढ़ावा देते हैं.

दूर-दूर तक है सार्वजनिक काली सह दुर्गा मंदिर की प्रसिद्धि

सिकटी. प्रखंड के प्रमुख व्यवसायिक केंद्र बरदाहा में अवस्थित सार्वजनिक काली सह दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रहा है. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गयी हर मुरादें पूरी होती है. यहां प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र भक्तिभाव से माता की पूजा की जाती है. इसमें दोनों समुदाय के लोग शामिल होते हैं. यहां महाअष्टमी को विशेष पूजा होती है. मानना है कि अष्टमी के दिन नारियल फोड़कर पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

मंदिर के पुजारी सत्य नारायण ठाकुर ने कहा कि जो भक्त यहां सच्चे मन से माता की चौखट पर माथा टेकते हैं, देवी उनकी सारी मनोकामना पूर्ण करती हैं. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु दुर्गा पूजा में यहां पहुंकर प्रसाद चढ़ाते हैं. इस मंदिर में स्थापना काल से उनके पिता स्व युगल किशोर पंडित पूजा करते थे. उनकी मृत्यु के पश्चात वे मंदिर में पूजन विधि कराते आ रहे हैं.

मंदिर पूजा समिति उपाध्यक्ष वीरेंद्र मंडल ने कहा कि मंदिर को लेकर भक्तों की आस्था इसे शक्ति पीठ का स्थान देती है. यहां भव्य मेले का आयोजन होता है. आसपास के दर्जनों गांव सहित नेपाल के श्रद्धालुओं की भीड़ होती है. दोनों समुदाय के सहयोग से विधि- व्यवस्था का संधारण किया जाता है, जो यहां की बड़ी विशेषता है. स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर का हर कार्य पूर्ण होता आया है.

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