भाई बहन के अटूट प्रेम का त्योहार सामा चकेवा के गीतों से ग्रामीण क्षेत्र हुआ गुलजार
फोटो:32- फारबिसगंज के ग्रामीण क्षेत्रों में बना सामा चकेवा.विपुल विश्वास, अररिया
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला लोकपर्व सामा-चकेवा मिथिलांचल व कोसी में छठ पर्व के समापन के साथ ही शुरू हो जाता है. आधुनिकता की इस दौर में कई त्योहार पीछे छूटे जा रहे हैं, लेकिन कोसी मिथिलांचल की महिलाएं आज भी पुरानी परंपरा को जीवंत रखते हुए प्रसिद्ध लोक उत्सव सामा-चकेवा मनातीं आ रहीं हैं. छठ पर्व के उीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हीं फारबिसगंज प्रखंड क्षेत्र की गलियां चुगला करे चुगली बिलैया करे म्याऊ… सामा चकेवा की मिथिलांचल गीतों से गूंजने लगे हैं. इस लोक उत्सव का समापन कार्तिक पूर्णिमा की रात में होगा. कोसी-मिथिला की संस्कृति की पहचान इस उत्सव के दौरान बहन अपने भाई की लंबी आयु, यश, शौर्य व संपन्नता की मंगल कामना करने से होती है. महिलाएं सामा चकेवा के अलावा चुगला-चुगली आदि की मिट्टी की मूर्ति अपने हाथों से निर्माण करती है. सामा खेलने के दौरान चुगला-चुगली को जलाने का उद्देश सामाजिक बुराइयों का नाश करना है. शाम में सामा चकेवा का विशेष शृंगार भी किया जाता है. उसे खाने के लिए धान की बालियां दी जाती हैं.भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है सामा-चकेवा की कहानी
बताते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की पुत्री श्यामा की ऋषि कुमार चारुदत्त से ब्याह हुई थी. सामा रात में अपनी दासी के साथ वृंदावन ऋषि-मुनियों की सेवा करने आश्रम में जाया करती थी. इस बात की चुगली श्री कृष्ण के दुष्ट मंत्री चबर को लग गयी व उसने राजा को श्यामा के खिलाफ कान भरना शुरू कर दिया, जिससे क्रोधित होकर श्री कृष्ण ने श्यामा को पक्षी बन जाने का श्राप दे दिया. श्यामा का यह रूप देख कर उसके पति चारुदत्त ने भगवान महादेव को प्रसन्न कर उसने भी पक्षी का रूप प्राप्त कर लिया. इसकी जानकारी श्यामा के भाई श्री कृष्ण के पुत्र शाम को हुई तो उसने बहन बहनोई के उद्धार के लिए पिता श्रीकृष्ण की अराधना शुरू कर दी. शाम के वरदान मांगने पर श्रीकृष्ण को सच्चाई का पता लगा जिस पर श्राप मुक्ति का उपाय बतायें. इसके बाद से इस परंपरा को निभाया जाता है. ——-फारबिसगंज में धूमधाम से मनाया रानी दादी का जन्मोत्सव
फोटो:33- कार्यक्रम में उपस्थित महिलाएं.प्रतिनिधि, फारबिसगंज
श्री राणीसती महिला मंडल द्वारा फारबिसगंज के श्री लक्ष्मी नारायण मारवाड़ी ठाकुरबाड़ी स्थित दादी मंदिर में आयोजित रानी दादी का जन्मोत्सव पूरी श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया गया. दादी जी के जन्मोत्सव का शुभारंभ महिलाओं द्वारा सामूहिक पाठ व पूजा अर्चना के साथ शुरू हुआ. कार्यक्रम में सुहागिन महिलाओं ने अपने-अपने पति व परिवार की दीर्घायु व सुख समृद्धि की कामना की. इस मौके पर पूरे मंदिर परिसर को रंगीन बल्बों व विभिन्न प्रकार के फूलों से सजाया गया था. महिलाओं ने राणी सती दादी के एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति कर माहौल को पूरी तरह से भक्तिमय बना दिया. महिलाओं द्वारा प्रस्तुत पाठ व सामूहिक भजन कीर्तन से भक्ति की रसधारा बहती रही. पूरा मंदिर दादी माता के जयकारों से गुंजायमान हो गया. इससे पूर्व मंदिर के पुजारी पंडित अंगद दुबे व पंड़ित अभिषेक दुबे की अगुवाई में अखंड ज्योत व दीप प्रज्वलित कर महिलाओं ने पूजा- अर्चना की. जन्मोत्सव के मौके पर मीणा अग्रवाल, उर्मिला जैन, किरण भूपाल,वंदना भूपाल, स्नेहलता शर्मा, लक्ष्मी देवी शर्मा, पिंकी अग्रवाल, सीमा अग्रवाल, किरण अग्रवाल, नीलम डालमिया, रंजू डालमिया, शिवांगी डागा, उषा अग्रवाल,देवकी गोयल, ममता अग्रवाल,मनोरमा देवी, निधि अग्रवाल, संगीता फ़ौगला, संजू अग्रवाल, सीमा धनावत, रानी कुमारी, सुमन जिंदल, सुनीता राजगढ़िया, स्वाति अग्रवाल आदि मौजूद थीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है