मदरसा में साइंस ग्रेजुएट को मिलता है छह हजार, कैसे चलेगा परिवार
कम मानदेय को लेकर मदरसा शिक्षकों में नाराजगी
मदरसा शिक्षकों ने विभिन्न समस्याओं को लेकर एमडीओ के बैनर तले की बैठक -1-प्रतिनिधि, अररिया एक ओर जहां बिहार के लोकप्रिय व विकास पुत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में मुसलमानों के लिए काफी काम किये. उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाकर विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है. जिससे आज मुसलमानों में काफी खुशी का माहौल है. लेकिन वहीं दूसरी ओर बिहार के सरकारी मदरसा व उसने कार्यरत शिक्षकों के साथ कही न कही भेदभाव और सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. जिससे इनके अंदर आक्रोश है. मालूम हो कि बिहार में काफी बड़ी संख्या में सरकारी मदरसा है. जिसमें सबसे अधिक सीमांचल के इन चार जिला अररिया ,पूर्णिया, किशनगंज व कटिहार जिला में है. क्योंकि यहां मुसलमानों की बड़ी संख्या रहते हैं. शिक्षा के मामले में ये तमाम जिला काफी पिछड़ा भी है. नीति आयोग की रिपोर्ट में भी शिक्षा के मामले में इन जिलों को पिछड़ा बताया है. ऐसे में सरकार की विभिन्न योजनाएं तालीमी बेदारी को लेकर चलाया भी जा रहा है. लेकिन मदरसा के साथ भेदभाव से इसमें कार्यरत शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है. इसी मामले को लेकर सीमांचल के पूर्णिया जिला में मदरसा डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन के बैनर के तहत एक बैठक आयोजित की गयी. जिसने बिहार खासकर सीमांचल के इन चार जिला में कार्यरत शिक्षकों व कर्मी की समस्या पर चर्चा हुई ,जिसमें खास तौर से वेतन विसंगति, वेतन में बढ़ोतरी, ईपीएफ व मेडिकल की सुविधा से वंचित रखना, पुराने हाफिजों के वेतन में भेदभाव, इसके अलावा विशेष कार्यक्रम के तहत मदरसा में बहाल साइंस, कंप्यूटर व विज्ञान शिक्षकों में मात्र छह हजार रुपया देना जो एक आदेशपाल से भी कम है. ये कितनी बड़ी विडंबना है. इस महंगाई के दौर में साइंस ग्रेजुएट को मात्र छह हजार पर काम कराना कहां से उचित है. इसी सब समस्या को लेकर एमडीओ के अध्यक्ष अब्दुल कुद्दूस व प्रदेश प्रवक्ता परवेज आलम ने बैठक आयोजित कर बिहार सरकार के विकास पुत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस समस्या का समाधान की मांग की है.
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