फोटो-4- साध्वी स्वर्णरेखा जी व अन्य. प्रतिनिधि, फारबिसगंज शहर के आरबी लेन में स्थित तेरापंथ भवन से आचार्य श्री महाश्रमणकी विदुषी सुशिष्या साध्वी श्री स्वर्णरेखा जी ठाणा 4 चातुर्मास सानंद संपन्न करके विहार प्रातः फारबिसगंज से चक्रदाहा की ओर हो गया. इससे पूर्व तीन दिनों के प्रातः कालीन व सांयकालीन सत्र के समय में फारबिसगंज श्रावक श्राविका समाज की तरफ से साध्वीश्री ठाणा 4 को मंगलभावना दी गयी. साध्वी श्री स्वर्ण रेखा जी ने सर्वप्रथम राजा प्रदेशी का आख्यान दिया. जिसमें आत्मा व शरीर के भिन्नत्व को समझाया व कहा कि साधु निर्मल पानी की तरह होते हैं. वह गतिशील रहते हुए ही जन जन के लिए उपयोगी हो सकते हैं. साध्वी श्री ने सभी श्रावक श्राविकाओं को प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति को अपनी आत्मा में ही रमण करना चाहिए. उसे अपने मन को ध्यान के द्वारा वाणी को मौन के द्वारा व तन को कार्योत्सर्ग के द्वारा साधने का प्रयत्न करना चाहिए. साध्वीश्री ने सकल फारबिसगंज समाज के मंगल और सफलता की कामना की. ————— चतुर्मास ध्यान साधना शिविर का समापन फोटो-5-बाबा से आशीर्वाद लेते विधायक विजय कुमार मंडल. प्रतिनिधि, कुर्साकांटा प्रखंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत लक्ष्मीपुर के हलधारा में आयोजित चतुर्मास ध्यान साधना शिविर का शनिवार की संध्या समापन हुआ. आयोजन समिति से मिली जानकारी अनुसार आयोजित ध्यान साधना शिविर में महर्षि मेंहीं संतमत सत्संग से जुड़े विद्वान संत महात्मा का सानिध्य मिला. समापन समारोह में संतों ने अनुयायियों से दिनचर्या में बदलाव करने, सत्संग भजन में रुचि लेने, भौतिक सुख सुविधा का त्याग कर प्रकृति के सानिध्य में रहने, अपनों से बड़े का सम्मान करने तो कुमार्ग को त्याग कर सुमार्ग पर चलने के साथ नशापान का त्याग करने की बात कही. इसके साथ ही संतों ने गौरवपूर्ण सांस्कृतिक विरासत को सहेज कर रखने की बात कही. वहीं ध्यान साधना शिविर में पहुंचे विधायक सह मुख्य सचेतक विजय कुमार मंडल ने बताया कि साधु संतों का दर्शन किसी तीर्थ यात्रा से कम नहीं होता है. वहीं आयोजित शिविर में कुप्पा घाट भागलपुर से आए डॉ गुरु प्रसाद, ऋषिकेश से आए विवेकानंद बाबा, हरिद्वार से आए ज्ञान शेखर बाबा सहित स्थानीय घनश्याम बाबा, दिनेश बाबा सहित अन्य साधु संतों ने श्रद्धालुओं से गौरवपूर्ण दृष्टांत देकर सरल व सहज भाषा में अवगत कराया.
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