शिक्षक दिवस विशेष
सेवानिवृत्त शिक्षकों ने रखे अपने-अपने विचार कहा, लालटेन की रोशनी व जमीन पर बैठकर मिले ज्ञान व संस्कार के समक्ष आज की शिक्षा धूमिलफोटो:38-बीरेंद्र प्रसाद सिंह, सेवानिवृत शिक्षक.
फोटो:39-वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, सेवानिवृत शिक्षक.फोटो:40-प्रकाश चंद्र गुप्ता, सेवानिवृत शिक्षक.
संजय प्रताप सिंह, अररिया गुरु ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात परब्रह्म तस्मैः श्री गुरुवेः नमः ऋषि-मुनियों ने अपने गुरुओं से तपस्या की शिक्षा को पाकर जीवन को सार्थक बनाया. एकलव्य ने द्रोणाचार्य को अपना मानस गुरु मानकर उनकी प्रतिमा को अपने सक्षम रख धनुर्विद्या सीखी. यह उदाहरण प्रत्येक शिष्य के लिए प्रेरणादायक है. भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाल्यकाल में अपने गृहत्याग कर गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन को सार्थक बनाया. विद्या जैसा अमूल्य धन पाने के लिए हम हमेशा से ही एक अच्छे गुरु की तलाश करते आये हैं. क्योंकि एक अच्छा शिक्षक ही हमारे भविष्य का निर्माण कर सकता है. छात्र अपने गुरु को जीवन के हर मोड़ पर याद करता है. उनके गुरुत्व को अपने व्यक्तित्व में आत्मसात का प्रयास करता है. गुरु से शिक्षा पाये बिना हमारे अंदर सुविचार आना मुश्किल है. यह शिक्षा हीं हमारे मानव जीवन में अच्छे संस्कारों को जन्म देती है. सेवानिवृत्त शिक्षक प्रकाश चंद्र गुप्ता कहते हैं कि विद्या एक अनमोल धरोहर है. पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर दी गयी शिक्षा आज भी याद है. बच्चों में शिक्षा के प्रति ललक हों तो शिक्षक माध्यम बनकर लक्ष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं. वही सेवानिवृत्त शिक्षक बीरेंद्र प्रसाद सिंह की माने तो उनका कहना है कि गुरु तो माध्यम है राह पर चलकर मंजिल को पाना छात्र का धर्म है, गुरु की बताई गयी कई बातें आज भी याद है.शिक्षा का हो गया है व्यवसायीकरण
पुरातन में शिक्षक व छात्र में आपसी संबंध बहुत मधुर होते थे. गुरुकुल की परंपरा में शिक्षा व्यवसाय नही हुआ करता था. आज इनके बीच बढ़ रहे फासले व स्कूलों में जा रहे बच्चों के प्रति अभिभावकों में बढ़ रही असुरक्षा की भावना चिंता का विषय बनती जा रही है. हिंदी व अंग्रेजी के जानकार 75 वर्षीय शिक्षक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता कहते हैं कि पहले शिक्षा सेवा का माध्यम होती थी, अब यह व्यवसाय बन गई है. शिक्षकों व छात्रों के संबंधों में कड़ुवाहट से टकराव की स्थिति उत्पन्न होना शिक्षा का व्यवसायीकरण होना है. ऐसा नहीं की हर शिक्षक आज केवल पैसे के लिए ही कार्य कर रहा है, शिक्षा के व्यवसायीकरण की अंधी दौड़ में अधिकांश शिक्षक निजी शिक्षण व्यवस्था को वृहद स्तर पर बढ़ावा दे रहे हैं, जो बच्चों के मन में उनके प्रति सम्मान को कम कर रहा हैं. शिक्षक सुधीर सिन्हा बताते हैं कि देश में पहले गुरु शिष्य परंपरा थी, जो अब पूरी तरह से बदल चुकी है. उस समय शिक्षा को पैसे से नहीं शिष्य की योग्यता से तोला जाता था, शिक्षा आज पेशा बन गया है. ऐसे में शिक्षा के मूल्यों का ह्रास होना स्वाभाविक है.
गुरुकुल में पैसे से ज्यादा रिश्तों का होता था मोल
प्राचीन काल में गुरुकुल में पैसे से ज्यादा रिश्तों का मोल था, उस समय गुरु अपनी पूरी निष्ठा व क्षमता से शिष्यों के कल्याण में जुटे रहते थे. उन्हें शिष्यों से कोई चाह नहीं होती थी, उनका उद्देश्य केवल योग्य शिष्यों का निर्माण करना था. शिक्षा ज्ञान की बजाय रोजगारमुखी हो चुकी है. इसके अलावा अब पढ़ाना कोई मिशन नहीं रह गया है यह तो प्रोफेशन का रूप ले चुका है, ऐसे में शिक्षक इसे ज्यादा से ज्यादा कमाई का साधन बनाते जा रहे हैं. अभिभावकों की माने तो आज के युग में शिक्षक व शिष्य के बीच गहरी खाई है. जिसके चलते अब अधिकांश शिक्षकों को योग्य शिष्य की जगह ज्यादा पैसा देने वाला शिष्य भाने लगा है.—————–
लोक अदालत में न्यायमित्रों का सहयोग सर्वोपरि: डीएलएसए सेक्रेटरीफोटो:37- न्याय मित्रों को संबोधित करते अवर न्यायधीश सह डीएलएसए सेक्रेटरी रोहित श्रीवास्तवप्रतिनिधि, अररिया
जिला जज हर्षित सिंह के निर्देश के आलोक में आगामी 14 सितंबर 2024 को होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत की अपार सफलता के मद्देनजर न्यायमंडल स्थित पुराने सीजेएम कोर्ट बिल्डिंग के प्रथम तल में संचालित डीएलएसए कार्यालय में अवर न्यायाधीश सह डीएलएसए सेक्रेटरी रोहित श्रीवास्तव की अध्यक्षता में जिले के सभी न्याय मित्रों की बैठक आयोजित की गयी. बैठक के माध्यम से अवर न्यायाधीश सह डीएलएसए सेक्रेटरी रोहित श्रीवास्तव ने उपस्थित सभी न्याय मित्रों से कहा कि आप सबों का सहयोग इसलिए भी सर्वोपरि माना जाता है, क्योंकि आप सभी अपने-अपने पंचायतों के न्याय मित्र हैं, आपके सामने ऐसे कई सुलहनीय मामले आये होंगे जिनका सफल निष्पादन राष्ट्रीय लोक अदालत शिविर के पटल पर हो सकता है. अवर न्यायाधीश सह डीएलएसए सेक्रेटरी रोहित श्रीवास्तव ने सभी न्याय मित्रों से अपील किया कि वे अपने-अपने पंचायतों में कार्य के बाद उपस्थित ग्रामीणों के बीच होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालत शिविर के संबंध में व इसकी महत्ता से उन्हें अवगत करायें. बैठक में उपस्थित अधिवक्ता न्यायमित्रों में किशोर कुमार दास, कुमारी बीणा, राजीव कुमार रंजन, जय नारायण ठाकुर, सुरेंद्र पासवान, अरविंद कुमार चौधरी, बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल व सुरेंद्र प्रसाद मंडल आदि ने अवर न्यायाधीश सह डीएलएसए सेक्रेटरी को आश्वस्त किया कि वे सभी पूर्व की तरह राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिकाधिक सुलहनीय मामलों के निष्पादन में अपना पूर्ण सहयोग देंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है