अररिया : फ़ारबिसगंज में मूसलाधार बारिश ने शहर में साफ-सफाई व जल निकासी के इंतजाम को ले कर नप प्रशासन के द्वारा किये जाने वाले दावे की पोल खोल कर रख दी है. लगातार हो रही बारिश के कारण शहर के सदर रोड, स्टेशन चौक,पोस्ट ऑफिस चौक से बड़ी मस्जिद गली तक, पटेल चौक, रेफरल अस्पताल मोड़ पुरानी पीएचसी वाली सड़क, छुआ पट्टी सहित विभिन्न मार्गों पर जल-जमाव की स्थिति भयावह बानी हुई है. यहीं नहीं नगर परिषद के कई वार्डो के बस्तियों में भी नाला के साफ सफाई व जल निकासी के उचित माध्यम नही होने के कारण जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.
जिनके मकान नीचे हैं उनके घर आंगन तक में जल जमाव के हालात हो गये हैं. सबसे आश्चर्य की बात तो ये है कि पोस्ट ऑफिस चौक से पटेल चौक तक शहर का मुख्य बाजार सदर रोड है जहां सड़क पर दो से तीन फीट जल जमाव है. जिसमे बारिश के पानी के अलाव सड़क के किनारे से बहने वाले नाले का गंदा पानी भी मिला हुआ है. जल जमाव की स्थिति यह है कि नाला व सड़क का पता ही नही चल पा रहा है. सड़क पर पैदल ही नही बाइक व चार चक्का वाहनों से भी चलना मुश्किल हो रहा है. एक तरफ लगातार मूसलाधार बारिश के शुरू होने मात्र से ही अनुमंडल प्रशासन बाढ़ से पूर्व की तैयारी में जुट गई है वहीं नप प्रशासन इस मामले में उदासीन दिख रही है. जल निकासी के मुख्य स्रोत इतिहासिक सिताधार व आइटीआइ के समीप स्थित साइफन से गाद व जल कुंभी के साफ-सफाई का कार्य भी काफी धीमी गति से होने से लोग काफी परेशान दिख रहे हैं.
लगातार मूसलधार बारिश से बढ़ रहा नदियों का जलस्तर . कुर्साकांटा . प्रखंड क्षेत्र में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जहां आमजन-जीवन अस्त व्यस्त रहा. वहीं प्रखंड क्षेत्र से बहने वाली लगभग आधा दर्जन नदियों का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों में बाढ़ की आशंका को लेकर चिंतित नजर आया. प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली नदियों में बकरा, भलुआ, लोहंदरा, बरजान, मसना, सिंघिया, बहेलिया समेत अन्य नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर कागजी खानापूर्ति करने, कटान स्थल का मुकम्मल इंतजाम नहीं होने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है. बाढ़ आने से न केवल फसल की क्षति होगी वरन नदी किनारे रहने वाले ग्रामीणों का आशियाना बहने का डर सता रहा है. ग्रामीणों द्वारा जब सरकारी अमला से गुहार लगाया जाता है तो आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कटान के नाम पर दो चार बैंबू स्टेपिंग व एक दो दर्जन सीमेंट के बोरे में बालू भरकर बकरा नदी के तीव्र कटान को रोकने का भरसक प्रयास किया जाता रहा है.
लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग की कागजी खानापूर्ति का ही परिणाम है कि बकरा नदी का तीव्र कटान लगभग दो फिट भी नहीं बचा होगा जब नदी की धारा खेती योग्य भूमि में प्रवेश कर जायेगी. बकरा नदी के कटान को समय पूर्व नहीं रोका गया तो एक तरफ लगभग 50 एकड़ खेती योग्य भूमि बंजर हो जायेगी. वहीं कुर्साकांटा प्रखंड मुख्यालय बाजार का अस्तित्व भी खतरे में पर सकता है. बकरा नदी के हर वर्ष दर्जनों परिवार घर से बेघर हो रहे हैं तो दर्जनों परिवार का खेती योग्य भूमि बकरा नदी में चले जाने को लेकर अन्य प्रदेशों में मजदूरी कर किसी तरह परिजनों का पालन पोषण में लगे हैं. समय पूर्व यदि कटान को नहीं रोका गया तो बकरा नदी के किनारे बसे गांव व कुर्साकांटा बाजार स्थिति बद से बदतर हो सकती है. वहीं ग्राम पंचायत रहटमीना के मिल्की, पोखड़वा, सझिया समेत लगभग आधा दर्जन गांव हर वर्ष नदियों में आई बाढ़ व उनसे उत्पन्न त्रासदी से परेशान हैं.
लेकिन न तो आला अधिकारी न ही जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ठोस कदम उठाया जाता है जो ग्रामीणों को इससे निजात मिल सके. प्रखंड प्रमुख सुशील कुमार सिंह ने बताया कि बकरा नदी के कटान को रोकने को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय पूर्व कोई ठोस उपाय नहीं किया गया तो जहां दर्जनों परिवार का मुंह का निवाला छीन जायेगा. दूसरी तरफ सैकड़ों एकड़ खेती योग्य भूमि बंजर हो जायेगा. ग्रामीणों में शामिल पूर्व मुखिया मो मुश्ताक अली, पंसस प्रतिनिधि प्रेम प्रकाश सिंह, श्रवण कुमार सिंह, मो जमिलुर्रह्मान, प्रणव गुप्ता, रामनाथ गुप्ता, पंकज सिंह, मो वारिश, मो कमर आलम, मो अय्यूब आलम, मो जाबुल, श्रीकुमार पासवान, राजकुमार पासवान, हरिहर पासवान, अरविंद कुमार मंडल, मिलन कुमार, प्रिंस कुमार, रंजीत कुमार गुप्ता, रामकुमार गुप्ता, राजकुमार राय, जितेंद्र साह, मुकेश राय समेत दर्जनों लोगों ने जिला पदाधिकारी अररिया से बकरा नदी के कटान को लेकर मुकम्मल इंतजाम की मांग की है.