मूसलधार बारिश से बढ़ रहा नदियों का जलस्तर, धान की फसल के लिए किसान चिंतित

अररिया : कुर्साकांटा प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली अमूमन सभी नदियों का लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जलस्तर में वृद्धि होने से नदी किनारे रह रहे ग्रामीणों को बाढ़ समेत नदी के कटान को लेकर आशंकित नजर आया. प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली नदियों में बकरा, लोहंदरा, भलुआ, मसना, बरजान, परमान समेत अन्य छोटी छोटी नदियों का जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने व बाढ़ पूर्व तैयारी नाकाफी को लेकर भी आमजनों की परेशानी में इजाफा होना लाजिमी हो सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 22, 2020 7:32 AM

अररिया : कुर्साकांटा प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली अमूमन सभी नदियों का लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जलस्तर में वृद्धि होने से नदी किनारे रह रहे ग्रामीणों को बाढ़ समेत नदी के कटान को लेकर आशंकित नजर आया. प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली नदियों में बकरा, लोहंदरा, भलुआ, मसना, बरजान, परमान समेत अन्य छोटी छोटी नदियों का जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने व बाढ़ पूर्व तैयारी नाकाफी को लेकर भी आमजनों की परेशानी में इजाफा होना लाजिमी हो सकता है. परेशान किसान से मिली जानकारी अनुसार धान का रोपनी शुरू हो गया है. लेकिन नदी का बढ़ता जलस्तर व नदी में जगह जगह पर पूर्व से हो रहे कटान की पूर्व तैयारी नहीं होने से आशंका बनी रहती है कि धान की रोपनी कर दिया जाये कहीं कटान तीव्र हो जाये तो फसल की क्षति तो होगी ही इसके साथ ही किसान द्वारा जमा पूंजी भी बर्बाद हो जायेगा.

बकरा नदी का कटान लगभग तीन वर्ष से शुरू है

उन्होंने बताया कि बकरा नदी में तीरा घाट से सटे शिशुआकोल में बकरा नदी का कटान लगभग तीन वर्ष से शुरू है. जिसमें हर वर्ष बाढ़ व बरसात के मौसम में कटान तीव्र होने से आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जैसे तैसे कागजी खानापूर्ति करते हुये कटान निरोधी कार्य तो किया जाता है. लेकिन कटान को लेकर ठोस रणनीति के तहत कार्य नहीं किये जाने से बरसात का मौसम आते ही नदी किनारे रहने वाले ग्रामीणों की परेशानी बढ़ जाती रही है. अब जो स्थिति उत्पन्न हो रही है उससे यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि अगर कोई बचाव कार्य नहीं किया गया तो कुर्साकांटा-शिसुवाकोल-तीरा सड़क का स्तित्व ही समाप्त हो जायेगा. वही हाल बरजान नदी के किनारे बसे ग्राम पंचायत रहटमीना का मिल्की गांव हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका से दो चार होते रहे हैं. जानकारी देते ग्रामीण रेवती रमन ने बताया कि बाढ़ से प्रत्येक वर्ष न केवल फसल की क्षति होती है. इसके साथ ही दर्जनों परिवार को भी घर से बेघर होना पड़ता है. उन्होंने बताया नदी व बाढ़ से होने वाली तबाही से निजात पाने को लेकर स्थानीय सांसद, विधायक समेत आला अधिकारियों को भी सूचित किया गया. लेकिन परिणाम आज भी जस का तस बना है.

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