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दुष्कर्म के दोषी युवक को उम्रकैद की सजा

अभियुक्त का भाई को साक्ष्य के अभाव में रिहा

अभियुक्त का भाई को साक्ष्य के अभाव में रिहा

प्रतिनिधि, अररिया गुरुवार को न्याय मंडल अररिया के जिला व षष्ठम अपर सत्र न्यायाधीश सह पॉक्सो अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय कुमार की अदालत ने गूंगी बहरी बच्ची के साथ दुष्कर्म कर शादी का प्रलोभन देकर गर्भवती करने व गर्भपात कराने का मामला प्रमाणित होने पर जिले के ताराबाड़ी थाना क्षेत्र के बटूरबाड़ी गांव के वार्ड संख्या 13 के रहने वाले 25 वर्षीय मो चुन्ना पिता स्व अब्दुल कय्यूम को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी है. जबकि दोषी के भाई मो जावेद आलम को साक्ष्य के अभाव में रिहा करने का आदेश जारी किया गया है. विशेष जानकारी देते हुए पॉक्सो एक्ट के स्पेशल पीपी डॉ श्याम लाल यादव ने बताया कि न्यायाधीश श्री कुमार ने दोषी मो चुन्ना को कारावास की सजा के अलावा 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया है. वहीं जुर्माना की राशि जमा नहीं होने पर आरोपित युवक को एक माह की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी. इसके अलावा विक्टिम कंपनसेशन फंड के रूप में सात लाख रुपये देने का आदेश जारी किया गया है. 07 लाख रुपये में से दो लाख रुपये पूर्व में पीड़िता को देय है. शेष बचे तीन लाख रुपये पीड़िता के बेटे को दिया जायेगा. इसलिए बच्चे के बालिग होने तक बच्चे के नाम से किसी नेशनलाइज बैंक में उक्त तीन लाख रुपये फिक्सड डिपॉजिट करने का आदेश जारी किया गया है. यह आदेश स्पेशल (पॉक्सो) 43/2018 महिला थाना कांड संख्या 77/2018 मे पारित किया गया है.

दुष्कर्म के बाद हो गयी थी गर्भवती

पॉक्सो एक्ट के स्पेशल पीपी डॉ श्याम लाल यादव ने बताया कि गूंगी-बहरी पीड़िता देर संध्या शौच के लिए अपने घर से बांसबाड़ी गयी थी. जहां पहले से घात लगाये मो चुन्ना ने चाकू का भय दिखाकर पीड़िता के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. इधर शादी का प्रलोभन देकर कई बार बच्ची के साथ यौन शोषण करने लगा. यौन शोषण से बच्ची गर्भवती हो गयी. इस बात का पता चलने पर इशारे से बच्ची ने युवक को निकाह करने की बात कही. लेकिन युवक ने गर्भपात कराने के लिए दवा लाकर दे दिया. इस मामले में कांड आइओ ने केस दर्ज के ढाई साल बाद 28 फरवरी 2021 को चार्जशीट न्यायालय में समर्पित किया. इसके बाद न्यायालय के न्यायाधीश ने दिनांक 04 दिसंबर 2013 को आरोप का गठन किया. आरोप गठन के बिंदु पर युवक ने अपने आप को बेकसूर बताया. बताया ग्रामीण राजनीति के तहत फंसाया गया है. आरोप गठन के बाद न्यायालय में सरकार की ओर से साक्ष्य प्रारंभ किया गया. सजा के बिंदु पर सरकार की ओर से पॉक्सो एक्ट के स्पेशल पीपी डॉ श्याम लाल यादव व बचाव पक्ष के अधिवक्ता मो कमरुजजमा ने अपना-अपना पक्ष रखा था.

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