तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी में दुनिया, दलाई लामा बोले- एक दूसरे को हराने की चाहत में हो रहा मानवता का नुकसान
बोधगया के कालचक्र मैदान में अपनी टीचिंग के दूसरे दिन बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने कहा कि दुनिया में बढ़ रही हथियारों की होड़ ने तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर दी है. उन्होंने कहा कि हमने इतने हथियार बना लिये हैं कि इसका फलाफल विश्व युद्ध के रूप में ही निकले
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के प्रवचन का दूसरा दिन बोधगया के कालचक्र मैदान में हुआ. जिसे 20 से अधिक देशों के 40 हजार से अधिक लोगों ने सुना. अपने उपदेश के दौरान दलाई लामा ने कहा कि दुनिया में बढ़ती हथियारों की होड़ ने तीसरे विश्व युद्ध की तैयारी कर ली है. उन्होंने कहा कि हमने इतने हथियार बना लिये हैं कि परिणाम विश्व युद्ध होगा. उन्होंने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध की भी चर्चा की और कहा कि हम एक-दूसरे को हराने और नुकसान पहुंचाने के लिए युद्ध लड़ते हैं, इससे मानवता को नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व शांति की बात तो सभी करते हैं, लेकिन उस पर अमल कोई नहीं करता. मैं और तुम के चक्कर में स्वार्थ की भावना को बगैर खत्म किए शांति नहीं मिलेगी.
दलाईलामा ने कहा कि दूसरों के भले के बारे में सोचेंगे, तभी शांति मिलेगी. उन्होंने कहा कि सभी मनुष्यों की एक ही चाहत है कि उन्हें सुख और शांति चाहिए, लेकिन मन में ईर्ष्या रहेगी, तो सुख और शांति नहीं मिलेगी. दूसरों को लाभ देने की भावना से ही शांति मिलेगी. उन्होंने विश्व के कई देशों से यहां टीचिंग सुनाने आये श्रद्धालुओं को कहा कि हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि विश्व में शांति हो.
दलाई लामा ने उदाहरण स्वरूप कहा कि कोई भी बच्चा अपनी मां के पेट से हथियार लेकर पैदा नहीं होता है, लेकिन बाद में ईर्ष्या और क्लेश के चक्कर में पड़ कर वह शांति को त्याग देता है. उन्होंने कहा कि हथियार व औजार बनाने की होड़ लगी है, इस पर रोक लगनी चाहिए.
दलाईलामा ने कहा कि हम सभी एक हैं व सभी की चाहत भी शांति ही है. यह मेरा राष्ट्र, वह तेरा राष्ट्र , इसके चक्कर में न पड़े. पृथ्वी पर मैत्री व करुणा के साथ रहें . एक दूसरे की मदद करें व शांति का अनुभव करें. उन्होंने कहा कि इस धरती पर अलग-अलग पंथ है और सभी शांति की ही बात करते हैं . मनुष्य होने के नाते एक दूसरे को लाभ पहुंचाने की सोच रखने से ही शांति आयेगी. मैं और पर की भावना को त्यागना होगा.
दलाई लामा ने कहा कि एक दूसरे से प्रेम करें, अंतर पैदा नहीं करें. उन्होंने कहा कि ईश्वर ने सभी को एक समान बनाया है. मैं और तुम की भावना को त्यागें. केवल अपने बारे में सोचने से शांति नहीं मिलती. उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में भी स्वार्थ को लेकर कितने युद्ध हुए. लेकिन जो हो चुका उसे भूल जाएं और अब सभी मिलकर विश्व शांति की बात करें. इसके लिए मन में करुणा लाना चाहिए. एक दूसरे के प्रति मनुष्यता का भाव होना चाहिए.
दलाई लामा ने कहा कि सभी समस्याएं मनुष्य द्वारा पैदा की गयी है. उन्होंने शून्यता का अभ्यास कर क्लेशों को खत्म करने की सीख दी व कहा कि बुद्धत्व की प्राप्ति के लिए सभी बुराइयों व क्लेशों को समाप्त करना होगा. बुद्ध ने भी मैं और तुम की बात को समझते हुए अपने अंदर की बुराइयों को खत्म किया था.
दलाई लामा ने कहा कि सभी जीवों के प्रति प्रेम की भावना रखने चाहिए. बुद्ध भी शुरुआत में समान व्यक्ति थे. उन्होंने अपने अंदर की क्लेशों को खत्म कर दिया और बुद्धत्व की प्राप्ति की. बुद्धत्व प्राप्त करने का अर्थ है कि सभी राग, द्वेष मोह व वासना को छोड़ना होगा. बुराइयों को हटाने से ही यह संभव है .
इस दौरान दलाई लामा ने श्रद्धालुओं को सर्वयोगचित्त उत्पाद भी कराया, जिसमें उन्होंने मंत्र जाप के साथ ही सभी को यह मनन करने को कहा कि जो भी जीवधारी हैं, उनको कष्ट नहीं पहुंचाऊंगा. ऐसा चित्त उत्पाद करें कि किसी को नुकसान नहीं करूंगा. कोई भी जन्म से किसी का दुश्मन नहीं होता. पापी भी स्वार्थ के कारण बनता है, उसमें उनका स्वार्थ होता है.
दलाई लामा ने अपने बारे में यह भी कहा कि उनकी उम्र लगभग 90 वर्ष हो चुकी है और वे सुबह उठकर बोधिचित्त और शून्यता का अभ्यास करते हैं. आप सभी को भी इसका अभ्यास करना चाहिए. यह एक दिन, सप्ताह, माह और वर्ष में संभव नहीं है. कालचक्र मैदान में अपने उपदेश का समापन करते हुए दलाई लामा ने कहा कि आप सभी मेरे प्रति श्रद्धा रखते हैं और मैं चाहता हूं कि आप बोधिचित्त का अभ्यास करें और मन में शांति पैदा करें। मन में शांति होगी तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा. प्रवचन के समापन पर उन्होंने घोषणा की कि अब रविवार को मंजुश्री अभिषेक दिया जायेगा.
बता दें कि बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की टीचिंग सुनने के लिए बौद्ध लामा, भिक्षुणी, आम श्रद्धालुओं के साथ ही 20 से ज्यादा देशों के श्रद्धालु बोधगया पहुंचे हुए हैं. ये सभी शांति की चाहत के साथ बौद्ध धर्मगुरु की टीचिंग सुन रहे हैं व दलाई लामा उन्हें महान आचार्य नागार्जुन द्वारा रचित धर्मधातुस्तव ग्रंथ के मुख्य अंश को अपने प्रवचन में प्रस्तुत कर रहे हैं. इसमें व्यक्ति को शांति के लिए क्या करने की जरूरत है, इसका उल्लेख धर्मगुरु कर रहे हैं. राग, द्वेष, मोह के साथ क्लेश को त्याग कर शांति को प्राप्त करने की नसीहत दी जा रही है.
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