विलियम जोंस के रिसर्च को गलत ठहरानेवाले आरा के अर्णव आदित्य सिंह ने पाया JEE एडवांस्ड में 9वां रैंक

आरा के अर्णव आदित्य सिंह ने JEE एडवांस्ड में पूरे देश में 9वां रैंक हासिल किया है. भोजपुर जिले के शाहपुर थानाक्षेत्र के ईश्वरपुरा गांव निवासी कंप्यूटर इंजीनियर सियाराम सिंह के बड़े बेटे ने जेईई एडवांस की प्रवेश परीक्षा में परचम लहराया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2021 8:04 PM

पटना. आरा के अर्णव आदित्य सिंह ने JEE एडवांस्ड में पूरे देश में 9वां रैंक हासिल किया है. भोजपुर जिले के शाहपुर थानाक्षेत्र के ईश्वरपुरा गांव निवासी कंप्यूटर इंजीनियर सियाराम सिंह के बड़े बेटे ने जेईई एडवांस की प्रवेश परीक्षा में परचम लहराया है.

शुक्रवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी खड़गपुर ने जेईई एडवांस्ड 2021 की प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया है. जिसमें ऑल इंडिया में 9वें स्थान भोजपुर के रहने वाले अर्णव आदित्य सिंह ने लाकर अपने परिवार के साथ साथ पूरे बिहार का नाम रोशन किया है.

बेंगलुरू से कोटा गया परिवार

अर्णव का जन्म चैन्नई में हुआ और उनके पिता सियाराम सिंह बंगलुरु में कंप्यूटर इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि उनका परिवार पहले बेंगलुरु में रहता था, लेकिन अर्णव की पढ़ाई के लिए कोटा आ गये. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु से अर्णव की बेहतर पढ़ाई के लिए कोटा आ गये. क्योंकि वहां भैतिकी और रासायनिक की पढ़ाई अर्णव के लिए काफी नहीं थी. इसलिए उनको कोटा आना पड़ा.

वैज्ञानिक बनना चाहते हैं अर्णव

अर्णव के दादा जी राजनाथ सिंह पेशे से वकील हैं. उनका कहना है कि अर्णव बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज है. उनका बचपन से कहना था कि वो बड़े होकर विश्व के सबसे बड़े वैज्ञानिक बनना चाहते हैं. जिसके लिए वो बहुत मेहनत करते हैं. राजनाथ सिंह ने बताया कि कतर के दोहा में 2019 में आयोजित 16वें इंटरनेशनल साइंस ओलंपियाड में अर्णव स्वर्ण पदक जीते थे.

उस दौरान 55 देशों के छात्रों ने उस ओलंपियाड में भाग लिया था. जिसमें अर्णव को गोल्ड प्राप्त हुआ था. इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड के 16 साल के इतिहास में पहली बार भारत के सभी 6 छात्रों को गोल्ड मेडल हासिल हुआ था. कतर में 3 से 11 दिसम्बर तक हुई प्रतियोगिता में 55 देशों के 322 प्रतिभागी शामिल हुए. भारत के जिन 6 छात्रों ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया है, उसमें बिहार का अर्णव आदित्य सिंह भी शामिल है.

विलियम जोंस के रिसर्च को गलत ठहराया था आदित्य

इंडियन सोसाइटी ऑफ फिजिक्स टीचर्स के अध्यक्ष प्रो विजय सिंह और उनके छात्र अर्णव आदित्य ने सर विलियम जोंस के 236 साल पहले किए गए दावों को गलत ठहराया था. अर्णव और प्रो सिंह का कहना था कि करीब 236 साल पहले प्रसिद्ध ओरिएंटलिस्ट और एशियाटिक सोसाइटी के संस्थापक सर विलियम जोंस ने भागलपुर से भूटान के माउंट जोमोल्हरी चोटी को नहीं बल्कि कंचनजंघा को देखा होगा.

उनका कहना था कि लॉकडाउन के दौरान वायुमंडल में हानिकारक कणों के घनत्व में गिरावट और हवा साफ होने से भारत के उत्तरी मैदानी भाग से हिमालय के कई चोटी देखे गए. उन्होंने यह दावा किया कि माउंट जोमोल्हरी 7326 मीटर ऊंचा है. इसके शिखर से अधिकतम दूरी 216 किलोमीटर तक देखी जा सकती है, जबकि माउंट जोमोल्हरी शिखर और भागलपुर के बीच की दूरी 366 किलोमीटर है.

पूर्णिया से भी 1790 में माउंट जोमोल्हरी और हिमालय की कुछ चोटियों के दृश्य देखने की बात विलियम जोंस ने उत्तराधिकारी रहे हेनरी कॉल ब्रिज ने कही थी. कोलब्रुक के पूर्णिया आधारित टिप्पणियों का विश्लेषण कर प्रो सिंह और अर्णव ने पाया कि विलियम जोंस द्वारा देखी गयी चोटी कंचनजंघा रही होगी.

Posted by Ashish Jha

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