पीरो सीओ और डीसीएलआर के खिलाफ अधिवक्ताओं ने खोला मोर्चा

दाखिल-खारिज में मनमानी का लगाया आरोप

By Prabhat Khabar News Desk | December 6, 2024 10:21 PM

पीरो.

पीरो बार के अधिवक्ताओं ने पीरो सीओ और डीसीएलआर के खिलाफ दाखिल-खारिज वादों में मनमानी किये जाने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है. अधिवक्ता रवींद्र कुमार मिश्र, जयगोपाल पांडेय, शैलेंद्र कुमार सिंह, निरंजन कुमार, मुकेश कुमार शर्मा, ब्रजेश कुमार तिवारी समेत करीब दो दर्जन अधिवक्ताओं ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव को लिखित शिकायत भेजकर दोनों अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए इनपर कार्रवाई की मांग की है. शिकायत पत्र में अधिवक्ताओं ने कहा है कि दाखिल खारिज के मामलों में पीरो सीओ और डीसीएलआर सरकारी प्रावधानों और कानून को ताक पर रखते हुए निर्णय दे रहे हैं. दोनों अधिकारियों ने दाखिल खारिज के मामलों को अवैध वसूली का जरिया बना लिया है. अधिवक्ताओं का कहना है कि दाखिल खारिज के मामलों में पहले सीओ मनमाना निर्णय दे देते हैं और इसके बाद जब वादी डीसीएलआर के यहां अपील करता है, तो डीसीएलआर अधिकार मामलों में रिमांड का आदेश देकर मामले को पुनः सीओ के पास भेज देते हैं और इसके बाद वसूली का खेल शुरू होता है. जिन मामलों में पैसा नहीं मिलता वैसे मामलों को अधिकतर खारिज कर दिया जाता है. अधिवक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि पीरो सीओ और डीसीएलआर की मनमानी इतनी बढ़ गयी है कि दोनों अधिकारी न्यायालय के आदेश को भी ठेंगा दिखा रहे हैं और न्यायालय ने लंबित मामलों में भी मनमाने ढंग से आदेश जारी कर रहे हैं. उदाहरण स्वरूप दाखिल खारिज वाद संख्या 450/2023 -24 में डीसीएलआर द्वारा दाखिल खारिज करने के लिए निर्देशित किया गया है. जबकि उक्त मामले से संबंधित भूमि पर न्यायालय में नंबरी वाद संख्या 203/2021 लंबित है. इसी प्रकार के दाखिल खारिज अपील वाद संख्या 28/ 2023-24 डीसीएलआर द्वारा वादी के पक्ष में दाखिल खारिज करने का निर्णय दिया गया. इसके बाद इसी मामले में विरोधी पक्ष द्वारा दायर दाखिल खारिज अपील वाद संख्या 82/2023-24 दायर की गयी, तो डीसीएलआर ने मनमाने ढंग से इस मामले में भी दाखिल खारिज करने के निर्देश जारी किया गया है. अधिवक्ताओं का कहना है कि ऐसे कई और मामले हैं जिनमें दोनों अधिकारियों द्वारा नियम कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए निर्णय दिये गये हैं. इस कारण लोगों की नाराजगी बढ़ रही है. इधर इस बावत पक्ष जानने के लिए डीसीएलआर को फोन किया गया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया.

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