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राजस्व वसूली में सरकार से निर्धारित लक्ष्य से पीछे है जिले का माप-तौल विभाग

वित्तीय वर्ष 2024-2025 में 90 लाख रुपये राजस्व का निर्धारित है लक्ष्य

आरा.

सरकार से वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित राजस्व लक्ष्य से माप तौल विभाग काफी पीछे है. विभाग की लापरवाही के कारण सरकार को राजस्व की उचित प्राप्ति तो नहीं हो रही है. जिले के उपभोक्ताओं को भी काफी परेशानी हो रही है. विभागीय कर्मियों की लापरवाही के कारण बटखरों एवं मीटर की जांच नहीं की जा रही है. विभागीय कर्मी कभी भी शहर बाजारों में घूम कर इनकी जांच नहीं करते हैं. इसके कारण दुकानदारों द्वारा उपभोक्ताओं को किसी भी तरह का सामान उचित मात्रा में नहीं दिया जाता है. उसमें कमतौली होती है. दुकानदारों से मिलीभगत के कारण कागजों पर ही कार्यालय में बैठकर खाना पूर्ति कर दी जाती है.

वजन वाले हर तरह के दुकान पर विभाग को करनी है जांच :

वजन करने या मापकर ग्राहकों को किसी भी तरह की वस्तु की बिक्री करनेवाले सभी दुकानों पर माप -तौल विभाग द्वारा जांच करने का प्रावधान है. इसके तहत कपड़ा की दुकान पर मीटर की जांच, सब्जी की दुकान, किराना दुकान, पेट्रोल पंप, गहने की दुकान सहित उन तमाम दुकानों पर विभाग को वजन की जांच करनी है, पर विभाग द्वारा जांच नहीं करने से पेट्रोल पंप सहित सभी दुकानों पर उपभोक्ताओं को ठगा जाता है व वजन कम दिया जाता है.

बिना जांच कराये ही दुकानदार करते हैं बाटों का उपयोग :

प्रतिष्ठानों से लेकर ठेलावालों तक बाट को जांच कराये बिना ही बाट का उपयोग कर रहे हैं. दुकानदार अवैध बांटों से ही वजन करके उपभोक्ताओं को चूना लगा रहे हैं. इससे ग्राहकों को काफी परेशानी हो रही है. जबकि सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाकर ग्राहकों को उनका हक दिलाने के लिए प्रयास किया है, पर धरातल पर ऐसा नहीं हो रहा है. प्रतिदिन उपभोक्ता ठगे और छले जा रहे हैं. वहीं, प्रशासन द्वारा प्रतिवर्ष उपभोक्ता दिवस के अवसर पर उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने का संकल्प लिया जाता है. यह संकल्प हवा में ही तैरते रह जाता है. उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत दिए गए अधिकारों की रक्षा प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा है.

90 लाख का निर्धारित है लक्ष्य :

माप -तौल विभाग के लिए सरकार ने 90 लाख राजस्व वसूली का लक्ष्य निर्धारित किया है, पर विभाग द्वारा वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024 – 25 के लगभग साढ़े तीन माह बीतने के बाद भी महज 15 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा किया गया है. कर्मियों की लालफीताशाही से सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया. वहीं विभाग के सुस्त के कारण उपभोक्ताओं को दुकानदारों से ठगी का शिकार होना पड़ रहा है. विभागीय लापरवाही के कारण सरकार को काफी राजस्व का चूना लग रहा है.

वर्ष में दो बार बांटों के जांच का है प्रावधान :

विभाग के नियम के अनुसार एक वर्ष में दो बार बांटों की जांच का प्रावधान है, ताकि उपभोक्ताओं को सही वजन मिल सके और उन्हें परेशानी नहीं उठानी पड़े, पर विभाग द्वारा जांच नहीं की जाती है. जांच के नाम पर कार्यालय में ही खानापूर्ति कर दी जाती है. क्षेत्र में माप- तौल विभाग के कर्मी व अधिकारी जांच के लिए नहीं जाते हैं. बांटों का घटा दिया जाता है वजन : किसी भी स्तर के दुकानदारों द्वारा बांटों में काफी छेड़छाड़ किया जाता है. इसका वजन घटा दिया जाता है. बांटों के नीचे लगाये गये रंगा को निकाल दिया जाता है. वहीं, पत्थर पर घिसकर भी बाट का वजन कम कर दिया जाता है. दुकानदारों को विभाग के जांच की कोई परवाह ही नहीं होती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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