आरा.
400 वर्ष पुरानी नगर रामलीला समिति के तत्वाधान में मंगलवार को छठवें दिन राम-सीता का विवाह का गवाह बने दर्शक. राजा जनक द्वारा सीता की विदाई पर आंखें भर आयीं और मंथरा द्वारा कैकई को भड़काने और राजा दशरथ से अपने वरदान के फल स्वरूप राम को वनवास देने की मांग कैकई द्वारा की गयी.पुत्र को वनवास की आज्ञा देने पर मजबूर हुए दशरथ को वियोगित होते देखा गया यह सारा दृश्य वृंदावन के मंडली द्वारा दर्शाया गया. सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ विशेष अतिथियों के साथ समिति के सदस्यों ने दीप प्रज्वलित कर किया. अध्यक्ष सोनू राय ने कहा कि पुत्र मोह और अयोध्या की लालच में कैकई ने राम को वनवास कराया. आज के लोग भी पुत्र मोह और संपत्ति की लालच में परिवार से अलग हो जा रहे हैं, जिससे परिवार के साथ-साथ समाज का भी बिखराव हो रहा है. हमें एक दूसरे को जोड़ने की जरूरत है, ताकि हमारा घर हमारा समाज हमारा संस्कृति बची रहे और उन्होंने हर पुत्र को अपने पिता की बात सुनने और समझने की भी बात कही, ताकि राम के आदर्शों का पालन हो सके. संरक्षक मंडल के हकीम प्रसाद ने आये हुए अतिथियों का अभिवादन एवं आभार व्यक्त किया. रोटी बैंक के कार्यकर्ताओं द्वारा भगवान राम के प्रसाद का भोग लगाने और उसके बाद प्रसाद वितरण का कार्य किया गया. मुख्य अतिथि में डॉ विजय सिंह सर्जन, डॉक्टर अंकित सिंह दंत चिकित्सक, यशवंत सिंह, प्रिंसिपल विमल यादव ,संरक्षक श्री लाल दास राय, समिति के मुख्य सदस्यों में उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता. सनी शाहबादी, विजय भारती, गौतम उर्फ़ राजा, मदन प्रसाद ,शंभूनाथ केसरी संरक्षक मंडल के हकीम प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद ,शत्रुघ्न प्रसाद और भी लोग मौजूद थे. समिति के प्रवक्ता पंकज प्रभाकर ने यह जानकारी दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है