करोड़ों रुपये की लागत से बने सरकारी आवास खंडहर में तब्दील
प्रखंड कार्यालय परिसर में करोड़ों रुपये की लागत से बने दर्जनों सरकारी आवास में लगभग आधा से अधिक आवास खंडहर में तब्दील हो चुका है.
चरपोखरी.
प्रखंड कार्यालय परिसर में करोड़ों रुपये की लागत से बने दर्जनों सरकारी आवास में लगभग आधा से अधिक आवास खंडहर में तब्दील हो चुका है. कुछ आवास जो बचे है उसके दीवार में भी दरार पड़ गया है और छत से हमेशा सीमेंट गिरते रहता है. जिसके कारण प्रखंड में कार्यरत कर्मी जिला मुख्यालय से या प्रखंड परिसर से दूर किराये के मकान में रह कर रोज आना जाना करते हैं. ऐसे में जिला मुख्यालय से आने जाने वाले प्रखंड कर्मियों को जाम जैसे समस्या झेलना पड़ता है. ट्रैफिक जाम के वजह से कभी कभार कर्मी कार्य अवधि के आधे समय बाद पहुंचते हैं, जिसके कारण कार्य भी प्रभावित होता है. परिसर में बने आवास की स्थिति ऐसी है कि खिड़की व दरवाजा तो दूर दीवार व छत भी टूट गयी है. बता दें कि सन 1964 में प्रखंड स्थापना के समय कार्यालय के साथ-साथ कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिए आवासीय भवन भी बनाये गये थे ताकि अधिकारी व कर्मचारी भी आवास में रह कर जनता का काम सुचारू रूप से करें. आरंभ समय ऐसा ही होता भी था. उस वक्त प्रखंड परिसर में सुबह शाम गुलजार रहता था. पदाधिकारियों व कर्मचारियों को मुख्यालय में रहने से आम जनता का काम आसानी से हुआ करता था. 2016 में कार्यरत बीडीओ संजीव कुमार सरकारी आवास की जर्जर स्थिति देख अपने आवास में ना रह कर जिला मुख्यालय से रोजाना आना जाना करते थे.वही इसके बाद 2020 के तत्कालीन बीडीओ संदीप कुमार पांडेय द्वारा आवास का मरम्मत कराने के बाद अपने ही आवास में रहना आरंभ किया. जिसके बाद वर्तमान बीडीओ भी इसी आवास में रह कर कार्यों का निष्पादन करती हैं. वहीं अंचलाधिकारी का अपना आवास नही होने के कारण प्रखंड कैम्पस के किसी दूसरे आवास में रह कर ड्यूटी करते हैं. अधिकारियों के प्रखंड कार्यालय आवास में रहने से लोगों के मन में यह विश्वास रहता है कि प्रखं के अधिकारियों से कभी भी अपने समस्या को लेकर मिला जा सकता है. बात उन दिनों की है जब सरकारी तंत्र प्रखंड मुख्यालय में रहने के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर नकेल नहीं कस पाया. नतीजतन आवास वीरान हो गया. चोर उचक्कों ने दरवाजा खिड़की उखाड़ कर ले गये और धीरे-धीरे आवास खंडहर में तब्दील हो गया. प्रखंड परिसर में बने आवास या किसी भी भवन का मरम्मत कार्य नही होता है जिसके चलते भवन और आवास की दीवारें कमजोर और गंदगी का अंबार लगा रहता है. कई आवास व भवन की खिड़िया टूट गयी है और उसपे जंगली पौधे जड़ गये हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है