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पुलों पर खड़े रहते हैं भारी वाहन, हादसे का खतरा

जिले में महत्वपूर्ण पुलों का भविष्य खतरे में है. इनमें कोईलवर में सोन नद पर बना छह लेन का पुल एवं आरा सासाराम को जोड़ने वाला चरपोखरी में मुख्य सड़क आरा सासाराम स्टेट हाइवे पर बना पुल शामिल है.

आरा.

जिले में महत्वपूर्ण पुलों का भविष्य खतरे में है. इनमें कोईलवर में सोन नद पर बना छह लेन का पुल एवं आरा सासाराम को जोड़ने वाला चरपोखरी में मुख्य सड़क आरा सासाराम स्टेट हाइवे पर बना पुल शामिल है. इसके लिए कोई निगरानी या फिर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में जिलावासी काफी भयभीत है कि कहीं प्रदेश के अन्य जगहों की तरह यहां भी पुलों की स्थिति वही नहीं हो जाए. पुलों पर डिजाइन लोड से काफी अधिक लोड स्थाई तौर पर रह रहा है. यह पुलों के लिए भविष्य एवं उनके जीवन के लिए काफी खतरनाक है.

किसी भी संरचना के लिए निर्धारित किया जाता है भार :

सिविल इंजीनियरिंग के नियम के अनुसार किसी भी संरचना के लिए उसका भार निर्धारित किया जाता है. ताकि उस संरचना के भार सहने की क्षमता कितनी होगी. इसमें कई तरह के लोड की गणना की जाती है. सभी लोड को ध्यान में रखकर पुल या भवन का डिजाइन किया जाता है. किस भी तरह के पुल पर ऊर्ध्वाधर भार, अनुप्रस्थ भार और अनुदैर्ध्य भार की गणना होती है. प्रतिनिधि भार में मृत भार, सक्रिय भार और प्रभाव शामिल हैं. पुल के भार वहन क्षमता को ध्यान में रखकर डिजाइन चरण के दौरान गणना में लाइव लोड में वाहन और अन्य गतिशील भार शामिल किया जाता हैं, जबकि डेड लोड पुल की संरचना है. दूसरी ओर हवा, भूकंपीय और तापमान भार पर्यावरणीय भार हैं. इन संयोजनों को डिजाइन प्रक्रिया के दौरान विचार किया जाता है. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पुल उन्हें सुरक्षित रूप से संभाल सकता है. ऐसी हालात में अनावश्यक भार पुलों के जीवन के लिए काफी खतरनाक होता है.

जिले में प्रशासनिक व विभागीय निष्क्रियता के कारण पुलों पर मंडरा रहा है खतरा :

जिले में इन दो महत्वपूर्ण फूलों पर विभागीय एवं प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण खतरा मंडरा रहा है. सासाराम स्टेट हाइवे पर चरपोखरी में बने पुल से प्रतिदिन हजारों वाहन गुजरते हैं. इतना ही नहीं काफी संख्या में अधिकारियों के वहां भी गुजरते हैं. पास में सटे हुए थाना है. इसके बावजूद किसी को इसकी चिंता नहीं है और संवेदनशीलता की पराकाष्ठा है. लोगों के जीवन का कोई ध्यान नहीं है. इस पुल पर अस्थायी रूप से ट्रक सहित अन्य वाहन खड़े रहते हैं, जबकि पुल के डिजाइन के समय ऐसी गणना नहीं की गयी होगी. ऐसे में यह फूल कब तक टिक पायेगा कहना मुश्किल है.

कोईलवर सिक्स लेन पुल पर भी खड़े रहते हैं बालू लदे दर्जनों ट्रक :

कोईलवर सोन नदी में बने सिक्स लेन पुल पर लगातार दर्जनों बालू लगे ट्रक खड़े रहते हैं. इससे पुल के वहन क्षमता पर काफी प्रभाव पड़ रहा है. डिजाइन्ड लोड से काफी अधिक लोड पुल पर लगातार रह रहा है. इसके बावजूद लोगों के जीवन से जिला प्रशासन एवं विभागीय अधिकारी खिलवाड़ कर रहे हैं. इस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. ऐसे में स्कूल का जीवन कब तक चलेगा समझ से परे है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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