चरपोखरी.
लोहिया स्वच्छता मिशन अभियान के तहत लाखों रुपये की लागत से बनाये गये सामुदायिक शौचालयों का उपयोग करना, तो दूर जंगली पौधों के कारण उसे देख पाना भी लोगों के लिए मुश्किल है. मामला चरपोखरी प्रखंड के नगरी से जुड़ा हुआ है. बता दें कि भूमिहीन व शौचालय विहीन महादलित टोला के लोगों की सुविधा के लिए व खुले में शौच मुक्त करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा महादलित बस्ती के समीप सरकारी जमीन पर सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया था. योजना में लोहिया स्वच्छता मिशन के तहत छह शीट का एक सामुदायिक शौचालय बनाना था, जिसमें तीन महिला और तीन पुरुषों के लिए. इसके अलावे एक चापाकल व पानी के लिए सोख्ता का निर्माण किया जाना था, लेकिन इस योजना का लाभ चरपोखरी के लोगों को नहीं मिल पा रही है. चरपोखरी में बनाये गये हैं नौ सामुदायिक शौचालय : जिला मुख्यालय द्वारा चरपोखरी प्रखंड के विभिन्न महादलित टोलाें में कुल 22 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराने का लक्ष्य मिला था, जिसमें महज नौ का निर्माण पूर्ण हुआ है. इसमें में भी कई शौचालय अधूरा हैं. जबकि प्रति शौचालय 179931 रुपये का भुगतान भी कर दिया गया, लेकिन हकीकत यह है की सामुदायिक शौचालयों में कोई सुविधा नहीं है. कई शौचालयों को नहीं किया गया है हैंडओवर :जाने के लिए रास्ता तक नहीं है. शौचालयों के आगे जंगल लगा हुआ है. ना चापाकल है, ना बाल्टी है. यही नहीं अब तक इन शौचालयों को हैंडओवर भी नहीं किया गया है. प्रखंड के कथराई, नगरी सहित कई ऐसे शौचालय हैं, जो सुविधा के अभाव में एक दिन भी उपयोग नहीं हुए हैं, जिससें महादलित टोले के लोग आज भी खुले में शौच करने पर विवश हैं. इधर सरकार लाखों रुपये खर्च कर खुले में शौच मुक्त करने के उद्देश्य सामुदायिक शौचालय निर्माण की योजना की शुरुआत की थी, लेकिन इसका लाभ लोग नहीं उठा पा रहे हैं. जिससे सरकार की योजना अधिकारियों के लापरवाही के कारण फ्लॉप साबित होती नजर आ रही है. प्रखंड के कई चिह्नित महादलित बस्तियों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कार्य अभी अधर में लटका हुआ है, लेकिन राशि की निकासी हो चुकी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है