75 दिनों के बाद भी परिमार्जन व दाखिल खारिज के मामलों पर नहीं हो रही कार्रवाई
अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों की मनमानी से लोगों को परेशानी हो रही है. परिमार्जन दाखिल खारिज आदि के मामले में बिना चढ़ावे के काम नहीं किया जा रहा है.
आरा.
अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों की मनमानी से लोगों को परेशानी हो रही है. परिमार्जन दाखिल खारिज आदि के मामले में बिना चढ़ावे के काम नहीं किया जा रहा है. लोग कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं. पर उनके काम नहीं हो पा रहे हैं. इससे एक तरफ सरकार की बदनामी हो रही है तो दूसरी तरफ लोगों में सरकार के विरुद्ध आक्रोश पैदा हो रहा है.जिलाधिकारी की समीक्षा साबित हो रही है बेमानी :
एक तरफ सरकार राजस्व महकमों में व्याप्त गड़बड़ी को ठीक करने के लिए प्रयासरत है. इसके तहत जिलाधिकारी तनय सुल्तानिया लगातार प्रयास कर रहे हैं. लगभग 15 दिनों पर समीक्षा कर रहे हैं.पर इसका असर ना तो अंचलाधिकारियों और ना ही राजस्व कर्मचारियों पर पड़ रहा है. जिलाधिकारी की समीक्षा टांय टांय फीस्स साबित हो रही है.35 दिन व 75 दिन का है मामला : सरकार ने निर्देश दिया है कि दाखिल खारिज एवं परिमार्जन से संबंधित मामले को 35 दिनों के अंदर या फिर अंतिम रूप से 75 दिनों के अंदर निष्पादन करना है. ताकि लोगों को सुविधा हो सके. पर ऐसा नहीं किया जा रहा है.
गलत आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं अंचलाधिकारी व राजस्व कर्मचारी :
जिलाधिकारी के समीक्षा के दौरान अंचल अधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा परिमार्जन एवं दाखिल खड़ी से संबंधित मामलों का गलत आंकड़ा प्रस्तुत कर रहे हैं. गलत आंकड़े प्रस्तुत करने में उन्हें किसी अधिकारी की कार्रवाई का भय नहीं हो रहा है. ऐसे में समीक्षा का कोई अर्थ नहीं रह जाता है. लोगों की परेशानी दूर होने की जगह बढ़ते ही जा रही है. 75 दोनों के बाद भी अंचलाधिकारियों एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा दाखिल खारिज एवं परिमार्जन के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. उन्हें ठंढ़े बस्ती में रखा गया है एवं इसकी जानकारी जिलाधिकारी को भी नहीं दी जाती है. जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा के कौन सा तरीका अपनाया जाता है कि अंचल अधिकारी एवं राजस्व कर्मचारियों द्वारा की जा रही गड़बड़ी पकड़ में नहीं आ रही है. ऐसे में लोगों के बीच यह चर्चा का विषय बना हुआ है. जिलाधिकारी के समीक्षा पर भी प्रश्न चिह्न खड़ा हो रहे हैं.राजस्व वसूली पर पड़ रहा है बड़ा असर :
राजस्व वसूली पर भी बुरा असर पड़ रहा है. जिले में हजारों आवेदन दाखिल खारिज एवं परिमार्जन को लेकर ठंढ़े बस्ते में डाल दिये गये हैं. उन्हें लटका कर रखा गया है. इस कारण लोग राजस्व रसीद नहीं कटा पा रहे हैं. ऐसे में लाखों रुपए प्रतिमाह, जो सरकार को मिल सकते थे, वह नहीं मिल पा रहे हैं. इससे सरकार को काफी क्षति उठानी पड़ रही है. पर सरकार के कर्मचारी ही सरकार को अपनी मनमानी से राजस्व की क्षति करा रहे हैं. कुछ उदाहरणकेस 1परिमार्जन प्लस आवेदन संख्या- 24297289488183 मे त्रुटि पायी गयी है, त्रुटि निराकरण के लिए आवेदन आपके लॉगिन मे वापस कर दी गयी है. आवेदन में सुधार कर फिर जमा करें.केस 2परिमार्जन प्लस आवेदन संख्या 242991781229567 में त्रुटि पायी गयी है, त्रुटि निराकरण के लिए आवेदन आपके लॉगिन में वापस कर दी गयी है. आवेदन में सुधार कर पुनः जमा करें.
केस 3इसी तरह दाखिल खारिज के आवेदन संख्या अस्थायी 1597/2024-2025 में त्रुटि पायी गयी है. कहकर लौटाया गया है और उसी पोर्टल से फिर से भेजने को कहा गया है.केस 4इसी तरह दाखिल खारिज के आवेदन संख्या अस्थायी /645/2024-2025 में त्रुटि पायी गयी है. कहकर लौटाया गया है और उसी पोर्टल से फिर से भेजने को कहा गया है. क्या कहते हैं जिलाधिकारीयह गंभीर विषय है. इसकी जांच की जायेगी तथा दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी.
तनय सुल्तानिया, जिलाधिकारीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है