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वर्तमान समय में किसानों के लिए जैविक व प्राकृतिक खेती सबसे ज्यादा लाभदायक : कृषि वैज्ञानिक

Arrah news क्षेत्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र भुवनेश्वर तथा कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर के संयुक्त तत्वावधान में जैविक एवं प्राकृतिक खेती आधारित एकदिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया.

आरा.

क्षेत्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र भुवनेश्वर तथा कृषि विज्ञान केंद्र भोजपुर के संयुक्त तत्वावधान में जैविक एवं प्राकृतिक खेती आधारित एकदिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया. डॉ प्रवीण कुमार द्विवेदी वरिष्ठ वैज्ञानिक ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने, कृषि की पैदावार की गुणवत्ता में वृद्धि तथा उन्नत पैदावार के आधार पर आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा रहा है. इस कार्यक्रम के माध्यम से प्राकृतिक खेती के लाभ, तकनीकी और कार्यप्रणाली से भी अवगत कराया जा रहा है. आज देश में असंतुलित उर्वरक प्रयोग के कारण भोजन की गुणवत्ता में बहुत ज्यादा कमी आयी है. जिसके कारण विशेष तौर पर महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष विपरीत प्रभाव देखने को मिल रहा है और यह किसी भी स्वस्थ राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है. इसलिए आज के समय में मिट्टी के साथ ही मनुष्यों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्राकृतिक खेती एक बहुत ही बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आई है. इसमें उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए बाजार पर अपने निर्भरता कम की जाती है और गुणवत्ता युक्त भोजन का उत्पादन किया जाता है. वहीं क्षेत्रीय जैविक एवं प्राकृतिक खेती केंद्र भुवनेश्वर के तकनीकी विशेषज्ञ धनेश कुमार शर्मा ने बताया कि जैविक खेती आज समय की मांग है. इसमें स्थानीय उपलब्ध संसाधन जैसे गाय का गोबर, गोमूत्र, बेसन तथा गुड़ का प्रयोग कर जीवामृत बनाया जाता है. जिसका बार-बार प्रयोग करके हम उर्वरकों की बहुत बड़े प्रयोग से बच सकते हैं. इसी प्रकार सप्तपर्णी निमास्त्र अग्नियास्त्र जैसे घटकों से पौधों की सुरक्षा भी हम सुनिश्चित कर सकते हैं. जैविक प्राकृतिक खेती के आर्थिक लाभों पर प्रकाश डालते हुए जानकारी दी कि आय में वृद्धि के लिए इनकी उत्पादन के विपणन के लिए इनका एक समूह बनाकर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी बनाने की भविष्य में योजना है. जिसके माध्यम से वृहद स्तर पर विविध कृषि उत्पादों का जिन्हें प्राकृतिक विधि से पैदा किया जाएगा, उनका विपणन किया जायेगा. डाक्टर सच्चिदानंद ने कहा कि प्राकृतिक परिस्थिति में सुधार प्राकृतिक खेती का मुख्य लक्ष्य है. उन्होंने खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती के महत्व एवं प्राकृतिक खेती में पोषक तत्व प्रबंधन के विभिन्न तरीकों के बारे में विस्तार से बताया. प्राकृतिक खेती के महत्त्व होने वाले फायदों की जानकारी देते हुए कहा कि कार्बन जमीन का आत्मा है व कार्बनिक पदार्थ को जमीन में बनाये रखना अति आवश्यक है और प्राकृतिक खेती ही एक ऐसा माध्यम है जिससे हम आने वाली पीढ़ियों को विभिन्न बिमारियों से संरक्षित कर सकते हैं. कार्यक्रम में भाग लेते हुए इफको के स्थानीय प्रतिनिधि एवं प्रबंधक शिशिर कुमार ने बताया कि जैविक खेती के लिए इनके पास समुद्र से उत्पादित सागरिका और जैविक उर्वरक के रूप में एनपीके कंसोर्टियां भी उपलब्ध है. जिसका किसान लाभ उठा सकते हैं और इसकी जैविक खेती में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है. डॉ रामनरेश कृषि विज्ञान केंद्र के सदस्य वैज्ञानिक ने जानकारी दी की मृदा की उर्वरता शक्ति को बढ़ाने के लिए जैविक खेती बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसके प्रयोग से जैविक कार्बन में काफी वृद्धि होती है और इसके कारण मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्धि होने से भूमि की प्राकृतिक रूप में उर्वरा शक्ति में अभिभूत वृद्धि देखने को मिल सकती है प्राकृतिक खेती के लिए पोषक तत्व प्रबंधन के लिए जीवामृत, घनजीवामृत बनाना पौध संरक्षण के लिए दशपर्णी अर्क बनना, अग्नि अस्त्र बनाना, सोंठास्त्र बनाना, खट्टी छाछ की उपयोगिता की विस्तारपूर्वक जानकारी दी. उपस्थित किसानों को जीवामृत बनाकर दिखाया गया एवं उन्हें अपने घर पर जीवामृत बनाने के लिए उपहार स्वरूप गुड बेसन के पैकेट भी उपलब्ध कराये गये.

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