16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मित्रता में अमीरी और गरीबी का कोई भेदभाव नहीं रहना चाहिए : दीदी सुदीक्षा

भागवत कथा के सातवें दिन श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का सुनाया गया प्रसंग

आरा.

मुफस्सिल थाना क्षेत्र भाकुरा पंचायत के लक्ष्मणपुर गांव में चल रही भागवत कथा के सातवें दिन की कथा में वृंदावन से चलकर आयी दीदी सुदीक्षा कृष्णा महाराज जी ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्णा और सुदामा की मित्रता द्वापर युग से लेकर कलयुग तक प्रसंगिक है. कलयुग में लोगों की श्री कृष्णा और सुदामा की मित्रता से सीख लेनी चाहिए क्योंकि श्री कृष्णा और सुदामा की मित्रता निस्वार्थ थी श्री कृष्णा द्वारकाधीश थे. जबकि सुदामा निर्धन थे. उनमें कोई समानता नहीं थी, लेकिन इसके बाद भी उनकी मित्रता को आज भी याद किया जाता है. जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक होता है. अच्छे मित्र हमेशा सुख-दुख में काम देते है. मित्रता में अमीरी और गरीबी का कोई भेद नहीं रहता है. हर व्यक्ति को भगवान कृष्ण और सुदामा की पवित्र मित्रता से सीख लेनी चाहिए, लेकिन आज के समय में लोगों को मित्रता हैसियत देखकर करते हैं. जबकि मित्रता हैसियत से नहीं दिल से की जाती है. भगवान श्रीकृष्णा और सुदामा ने एक ही गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी. इसके बाद श्री कृष्णा मथुरा चले गये थे. जबकि सुदामा अपने घर लेकिन उसके बाद भी भगवान श्री कृष्णा सुदामा को नहीं भूल पाये. सुदामा बहुत निर्धन थे. तब उनकी पत्नी ने कहा कि वह अपने मित्र श्री कृष्णा और सुदामा ने एक ही गुरु के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी इसके बाद श्री कृष्ण मथुरा चले गये थे. जबकि सुदामा अपने घर लेकिन उसके बाद भी भगवान श्रीकृष्ण सुदामा को नहीं भूल पाये. सुदामा बहुत निर्धन थे. तब उनकी पत्नी ने कहा कि वह अपने मित्र कृष्ण से सहायता मांग ले. सुदामा अपने मित्र कृष्णा के महल पहुंचे हैं. वहां पर सुदामा और द्वारपाल रोक लेता है, लेकिन सुदामा की आवाज सुनकर श्री कृष्णा दौड़ कर चले आये. सुदामा को अपने गले लगाया और उन्हें अपने सिंहासन पर बिठाया था. जब उन्हें विदा किया उससे पहले ही उन्हें बताया बिना मदद मांगे बिना ही सब कुछ दे दिया. आज के समय में लोगों को सुदामा और कृष्णा की मित्रता से सीख लेनी चाहिए. श्री-श्री दुर्गा पूजा समिति के सचिव ओम जी बाबा उर्फ नरेश कुमार ने कहा कि मित्रता में अमीरी गरीबी का कोई भेद नहीं होना चाहिए.सच्चे मित्र हमेशा सुख-दुख में साथ देते हैं. मित्रता में ईमानदारी, त्याग और सम्मान का भाव होना चाहिए. श्री-श्री दुर्गा पूजा समिति लक्ष्मणपुर के मुखिया गौतम सागर अध्यक्ष धनोज जी, उपाध्यक्ष- दिलीप कुमार, सचिव- ओम जी बाबा उर्फ नरेश कुमार, उप सचिव -विकास कुमार, कोषाध्यक्ष- बोल बम जी संतोष जी, छोटा राजा, सुशील पासवान, विकी सिंह,पवन ठाकुर, गुंजन सागर, डॉ रवि पासवान, विक्की सिंह ,पवन ठाकुर, गुंजन सागर, डॉक्टर रवि, संतोष जी छोटा राजा सुशील पासवान विक्की सिंह पवन ठाकुर गुंजन सागर डॉक्टर रवि वीरू ऋषिकेश रविंदर र विशाल जोगिंदर सिंह गुंजन सिंह विकास कुमार नीरज रवि पिटर, गुंजन सिंह, विकास कुमार, नीरज, रवि पीटर, धनजी गोंड का पूरा सहयोग रहा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें