समाहरणालय में लगी आरओ मशीन की स्थिति बदतर, अधिकारी अनजान
कर्मियों व अधिकारियों को निजी व्यवस्था से मंगाना पड़ रहा पीने का पानी
आरा.
समाहरणालय परिसर में पीने के पानी को लेकर आरओ मशीन की व्यवस्था वर्ष, 2022 में की गयी थी, ताकि कर्मियों व पदाधिकारियों को पीने का पानी सुगमता से उपलब्ध हो सके. तब गर्मी में इसका लाभ सभी को मिला, पर दूसरे ही वर्ष खराब हो जाने के कारण इसका लाभ नहीं मिल पाया. इससे इसके लिए खर्च किये गये लाखों रुपये बेकार हो गये. ऐसी स्थिति में सभी विभागों में डब्बा बंद मिनरल वाटर मांगना पड़ रहा है, ताकि गर्मी में परेशानी नहीं हो.
जाड़े में गंदगी से भर गयी थी मशीन : पिछले जाड़े में आरओ मशीन की स्थिति ऐसी थी कि मशीन के ऊपर तथा इसके चारों तरफ लोगों ने पान का पिक दान बना दिया था. इससे गंदगी इतनी फैल गयी थी कि इसका उपयोग लोग नहीं कर पा रहे थे. अब समस्या यह है कि जिन लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए था, उन्हीं के द्वारा इसे गंदा किया जा रहा था. दूसरे वर्ष में ही आरओ मशीन खराब हो गयी. इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाया.
ठीक करने के बाद भी है टूटी अवस्था में है मशीन : हालांकि वर्ष 2024 में आधि गर्मी बीतने के बाद आरओ मशीन को ठीक कराया गया है, पर मशीन के टेप से पानी निकालने पर नीचे नहीं गिरे, इसके लिए लगाया गया ढक्कन टूट चुका है. उसका नामो निशान नहीं है. ऐसे में पानी लेने पर लोगों का कपड़ा खराब हो जा रहा है. पानी नीचे गिर रहा है.
मशीन पर पसरी है गंदगी : आरओ मशीन की सफाई अभी भी सही ढंग से नहीं की गयी है. इस पर गंदगी पसली हुई है. ऐसे में लोग इससे पानी पीना नहीं चाह रहे हैं. हाइजीनिक दृष्टि से भी खराब है. वहीं इसका मनोवैज्ञानिक असर भी हो रहा है.अब प्रश्न उठता है कि लाखों की राशि खर्च कर आरओ मशीन लगाने का अर्थ क्या है. इससे लोगों को सुविधा नहीं मिल पाई. बल्कि यह झुनझुना बनकर रह गया.
मिनरल वाटर बनाने में हो रहा है काफी खर्च : सभी विभागों में मिनरल वाटर का डब्बा देखा जा सकता है. इसको मंगाने में कर्मियों को काफी खर्च करना पड़ रहा है. प्रतिदिन 30 से 40 रुपए प्रति डब्बा देना पड़ता है. इससे इन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
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