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सब्जी मंडी बना अस्पताल परिसर

पीरो अस्पताल परिसर में गंदगी और अतिक्रमण के कारण निकल रही दुर्गंध

पीरो.

पीरो अनुमंडल मुख्यालय में स्थित अस्पताल परिसर में गंदगी और अतिक्रमण है. अस्पताल परिसर के मुख्य गेट पर ही गंदगी का अंबार है. यहां पसरी गंदगी के कारण ही आम लोग परिसर को यूरिनल के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इस कारण यहां हमेशा पूरे परिसर में दुर्गंध रहता है. रही सही कसर अस्पताल परिसर में गुमटीनुमा दुकानें और सब्जी बाजार पूरी कर रही है. मुख्य सड़क से अस्पताल परिसर में जानेवाले रास्ते पर मुख्य गेट से ही दुकानें सजती हैं. इसके बाद अस्पताल परिसर के करीब आधे भाग में सब्जी बाजार का कब्जा है. दोपहर के बाद यहां दुकानों और खरीदारों की भीड़ के कारण जाम की स्थिति बन जाती है. अस्पताल परिसर में अतिक्रमण की स्थिति यह है कि यहां चिकित्सक और नर्सों के बने आवासीय भवन के आगे के पूरे परिसर में सब्जी का बाजार पूरे दिन लगा रहता है. सब्जी बाजार से निकलनेवाले कचरे के कारण चिकित्सकों और नर्सों के आवासीय भवन के आसपास भी गंदगी रहती है. कुल मिलाकर कहा जाये, तो पहली नजर में पीरो का अस्पताल कही से भी अस्पताल की तरह नजर नहीं आता.

एनजीओ के जिम्मे है अस्पताल परिसर की सफाई का जिम्मा : बिहार सरकार की ओर से सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों में सफाई से लेकर मरीजों के लिए अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा एनजीओ को दिया गया है और सरकार इसके लिए हर माह करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. पीरो अस्पताल में भी सफाई व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का जिम्मा आउटसोर्सिंग एजेंसी को दिया गया है और इसके लिए हर माह उक्त एनजीओ को लाखों रुपये का भुगतान किया जाता है, लेकिन अस्पताल परिसर में पसरी गंदगी और कचरे के अंबार को देख एनजीओ की कार्यशीली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. बता दें कि भोजपुर के सिविल सर्जन शिवेन्द्र कुमार सिन्हा ने 12 जुलाई को पीरो अस्पताल का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान उन्होंने अस्पताल परिसर में पसरी गंदगी देखी थी और इसपर नाराजगी भी जतायी थी, लेकिन उसके बाद भी यहां व्यवस्था में कुछ खास सुधार नहीं दिख रहा है.

आश्वासन के बाद भी अस्पताल परिसर की नहीं हुई घेराबंदी : पीरो अस्पताल परिसर को अतिक्रमण से मुक्त कराने को लेकर कई बार स्थानीय समाजसेवियों व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने सांसद, विधायक से लेकर मंत्री तक से गुहार लगायी. तत्कालीन सांसद आरके सिंह द्वारा पीरो में आयोजित कार्यक्रमों में दो बार अस्पताल परिसर की घेराबंदी कराने का आश्वासन दिया था. इसके अलावा पीरो के कई नेताओं ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर पीरो अस्पताल की दशा बदलने की गुहार लगायी थी, लेकिन बार-बार आश्वासन मिलने के बाद भी आज तक अस्पताल परिसर की चहारदीवारी नहीं करायी का सकी है. स्थानीय नगर निकाय के चुनाव में भी अस्पताल परिसर की नारकीय स्थिति प्रमुख मुद्दों में से एक रहा और अस्पताल की स्थिति में सुधार के वादे पर कई प्रत्याशियों ने वोट मांगे. चुनाव बीत गए लेकिन अस्पताल की स्थिति ज्यो की त्यों बनी हुई है. चहारदीवारी और गेट नहीं होने के कारण ही अस्पताल परिसर में हर दिन अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है.

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