दरभंगा के संग्रहालयों से बिहार म्यूजियम नहीं जायेगी मिथिला की कलावस्तु, विरोध के बाद सरकार ने बदला विचार
जिले के दोनों संग्रहालयों की कलाकृतियों को बिहार संग्रहालय पटना की प्रदर्शनी में नहीं ले जाया जाएगा. संग्रहालय अध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र ने यह जानकारी दी है. बताया कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव दीपक आनंद ने कहा है कि बिहार संग्रहालय का स्थापना दिवस सात अगस्त से मनाया जाएगा.
दरभंगा. जिले के दोनों संग्रहालयों की कलाकृतियों को बिहार संग्रहालय पटना की प्रदर्शनी में नहीं ले जाया जाएगा. संग्रहालय अध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र ने यह जानकारी दी है. बताया कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव दीपक आनंद ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि बिहार संग्रहालय का स्थापना दिवस सात अगस्त से मनाया जाएगा. दो महीनों तक अस्थायी प्रदर्शनी लगाई जायेगी. दीपक आनंद ने कहा है कि प्रदर्शनी में अब केवल पटना संग्रहालय एवं बिहार संग्रहालय के पुरावशेषों एवं कला वस्तुओं को प्रदर्शित किया जायेगा.
यहां से दर्जनों दुर्लभ कला वस्तुओं को ले जाने की थी योजना : शिव
संग्रहालय अध्यक्ष डॉ शिव कुमार मिश्र के अनुसार अस्थायी प्रदर्शनी में महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा से हाथी दांत निर्मित महिषासुरमर्दिनी, हेयर पिन, दर्पण, अलंकृत कला वस्तुओं के साथ-साथ करीब डेढ़ दर्जन दुर्लभ कला वस्तुओं को प्रदर्शित करने की योजना थी. वहीं चंद्रधारी संग्रहालय की विष्णु, उमा महेश्वर, नवग्रह, हरिहरार्क (तिलकेश्वर गढ से प्राप्त), दुर्गा एवं वराह की पाषाण मूर्तियों के साथ- साथ अलंकृत तस्तरी, हाथी दांत से बने पेपर कटर आदि करीब डेढ दर्जन दुर्लभ सामग्रियों को वहां ले जाने के लिए चिन्हित किया गया था.
दोनों संग्रहालयों को आकर्षक बनाने की लगातार चल रही प्रक्रिया
डॉ मिश्र ने बताया कि दोनों संग्रहालयों को आकर्षक बनाने की प्रक्रिया लगातार चल रही है. नयी दीर्घाओं को विकसित किया जा रहा है. हाथी दांत से निर्मित दुर्लभ कला वस्तुओं का संरक्षण कार्य प्रगति पर है. कला वस्तुओं को संरक्षित किये जाने के साथ, उन्हें दीर्घाओं में प्रदर्शित किया जा रहा है. कहा कि चंद्रधारी संग्रहालय के दशकों से बंद पड़े स्पेशल गैलरी तथा रेफरेंस लाइब्रेरी को दर्शकों के लिए खोल दिया गया है.
एमएसयू जैसी संस्था कर रही थी विरोध
दरभंगा के संग्रहालयों से मिथिला की कलावस्तु के पटना लाने का दरभंगा में विरोध हो रहा था. एमएसयू जैसी संस्था ने इसके लिए मुहिम चला रखा था. समाजसेवी, इतिहासकार और बुद्धिजीवी भी कलाकृति को दरभंगा से पटना ले जाने के खिलाफ थे. ऐसे में सरकार के ताजा निर्णय से लोगों में खुशी है. कुछ वर्ष पहले भी ऐसे प्रयास हुए थे जिसका स्थानीय विधायक संजय सरावगी ने जोरदार विरोध किया था, लेकिन इस बार वो इस मसले पर खामोश समर्थन देते रहे.
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