अापरािधक घटनाओं पर नहीं लग रहा विराम

करपी(अरवल) : वंशी थाना एवं करपी थाना क्षेत्र में गोलीबारी, हत्या और छिनतई की घटना रुकने का नाम नहीं ले रही है. करपी में इधर दो-तीन माह के अंदर तीन गोलीबारी और एक हत्या की घटना घट चुकी है. वंशी थाने का क्षेत्र छोटा होने के बावजूद भी दो महीने के अंदर दो छिनतई की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2017 5:01 AM

करपी(अरवल) : वंशी थाना एवं करपी थाना क्षेत्र में गोलीबारी, हत्या और छिनतई की घटना रुकने का नाम नहीं ले रही है. करपी में इधर दो-तीन माह के अंदर तीन गोलीबारी और एक हत्या की घटना घट चुकी है. वंशी थाने का क्षेत्र छोटा होने के बावजूद भी दो महीने के अंदर दो छिनतई की घटना से लोग सहम गये हैं.

बताते चलें कि सोनभद्र वंशी सूर्यपुर प्रखंड में कुल आठ पंचायतें हैं, लेकिन आठों पंचायत वंशी थाना क्षेत्र में नहीं आती. वंशी प्रखंड में माली, सोनभद्र, बलौरा, शेरपुर, अनुआ, चमंडी, खटांगी एवं खड़ासीन पंचायत है लेकिन वंशी थाना का क्षेत्र माली, सोनभद्र, बलौरा ही मुख्य रूप से है. क्योंकि शेरपुर, अनुआ एवं खडासीन का कुछ हिस्सा करपी थाना क्षेत्र में तो चमंडी एवं खटांगी का अधिकांश गांव मानिकपुर कुर्था थाना क्षेत्र में पड़ता है. वंशी क्षेत्रफल काफी कम होने के बाद भी दो माह के अंदर दो छिनतई की घटना घटित होने से लोगों के लिए चिंता का विषय बन चुका है और दोनों घटना की आपस की दूरी मात्र डेढ़ किलोमीटर ही है

और दोनों घटनाएं माली बैंक से पैसे निकाल जाने के क्रम में ही घटी. बताते चलें कि 80 के दशक में वंशी में उस समय पुलिस पिकेट की स्थापना की गयी थी जब इस प्रखंड के छह पंचायत करपी में, जबकि दो पंचायत कुर्था में हुआ करती थी. वर्ष 1981 में क्षेत्र में बढ़ती चोरी की घटना के कारण पुलिस पिकेट की स्थापना की गयी थी तो नब्बे के दशक में क्षेत्र में धीरे-धीरे बढ़ रही हिंसा की घटना के कारण इस पिकेट को ओपी का दर्जा दिया गया. उस समय यह क्षेत्र सड़क एवं पुल विहीन क्षेत्र हुआ करता था. साल के कुछ ही माह इस क्षेत्र के किसी गांव तक वाहन जा सकती थी. नदी नालों से घिरा होने के कारण नब्बे के दशक में इस क्षेत्र में हिंसा आम बात हो गयी थी. 18 मार्च 1999 की वह काली रात जब नक्सलियों ने सेनारी में 35 लोगों की गला रेत निर्मम हत्या कर दी थी. उस समय शायद ही वह कोई महीना होगा जब किसी गांव में किसी की हत्या नहीं हुई होगी. उस समय इस क्षेत्र के लोग रतजगा करने को मजबूर हुआ करते थे. कब किसकी आखिरी रात होगी यह कहना मुश्किल था, लेकिन पिछले एक दशक से छिटपुट घटनाओं को छोड़ दिया जाये तो शांति स्थापित है. 29 जनवरी 2015 को वंशी को थाने का दर्जा भी मिल गया. लगभग सभी गांव सड़क पुल-पुलिया से जुड़ गया. जिस कारण पुलिस को गश्ती करने में भी आसानी हो गयी है. इसके बावजूद भी 29 जून को पीएनबी ब्लौरा ग्राहक सेवा केंद्र के अरुण कुमार एवं सात सितंबर को वंशी के पत्रकार एवं ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक पंकज मिश्रा के साथ घटित छिनतई एवं गोली बारी की घटना के बाद क्षेत्र के लोग डरे सहमे हैं.

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