मनरेगा मजदूरों का लाखों रुपये बकाया

सैकड़ों योजनाएं हैं अपूर्ण, तकनीकी बाधा के कारण मजदूरी के भुगतान में हो रही परेशानी अरवल : जिला क्षेत्र में मनरेगा योजना में कार्य करने वाले मजदूरों को राशि के अभाव में मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है. जबकि अक्तूबर के प्रतिवेदन में नौ लाख 83 हजार 712 मानव दिवस के एवज में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2017 4:53 AM

सैकड़ों योजनाएं हैं अपूर्ण, तकनीकी बाधा के कारण मजदूरी के भुगतान में हो रही परेशानी

अरवल : जिला क्षेत्र में मनरेगा योजना में कार्य करने वाले मजदूरों को राशि के अभाव में मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है. जबकि अक्तूबर के प्रतिवेदन में नौ लाख 83 हजार 712 मानव दिवस के एवज में 13 लाख 39 हजार 60 मानव दिवस का सृजन किया गया है, जिसमें एक करोड़ 95 लाख 84 हजार मजदूरी की राशि का भुगतान व नौ लाख 80 हजार 38 रुपये निर्माण सामग्री का बकाया बताया गया है. इस योजना के तहत वर्ष 2014-15 में सदर प्रखंड के लिए 855 योजना की शुरुआत की गयी थी, जिसमें 729 योजना को पूर्ण किया गया और 129 योजना आज भी अपूर्ण है.
कलेर प्रखंड में 889 योजनाओं की शुरुआत की गयी थी, जिसमें 793 योजनाओं को पूर्ण किया गया. करपी प्रखंड में 1234 योजनाओं की शुरुआत की गयी थी, जिसमें 1147 का कार्य पूर्ण किया गया व 87 योजनाएं अपूर्ण हैं. कुर्था प्रखंड में 723 योजनाओं में 716 योजनाओं को पूर्ण किया गया. सोनभद्र-वंशी में 408 योजनाएं शुरू की गयी जिसमें 398 योजनाएं पूर्ण की गयी. वर्ष 2015-16 में इन प्रखंडों में 1823 योजनाओं में 775 योजनाएं पूर्ण की गयी,
जबकि 1048 योजनाएं अपूर्ण हैं. वहीं वर्ष 2016-17 में 1889 योजनाएं शुरू की गयी, जिसमें 416 योजनाएं पूर्ण की गयी और 1473 योजनाएं अपूर्ण है. सरकार द्वारा मजदूरों को रोजगार प्रदान करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गयी थी. काम करने वाले मजदूरों को सुविधा के साथ-साथ नियमानुकूल उनकी मजदूरी का भुगतान करने का प्रावधान है, लेकिन राशि के अभाव में सरकार की सारी घोषणाएं धरातल पर नहीं दिख रही हैं. खासकर मनरेगा में काम करने वाले निर्धन मजदूरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी-
मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को ससमय भुगतान करने का पूरा प्रयास किया गया है, लेकिन तकनीकी बाधा के कारण मजदूरी के भुगतान में कुछ देरी हो रही है. इसे जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश की जा रही है.
विंदेश्वरी प्रसाद, डीडीसी

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