नहीं खुला केंद्र, सस्ते मूल्य पर िकसान बेच रहे हैं धान
परेशानी . क्रय केंद्रों का नहीं हुआ िनर्धारण अरवल : धान की खरीदारी के लिए सरकार द्वारा 15 नवंबर को अधिसूचना जारी करने के तीन सप्ताह बाद भी अभी तक पैक्स अध्यक्ष द्वारा धान की खरीदारी नहीं की जा रही है, जिसके कारण किसान अपने आवश्यक कार्य के लिए औने-पौने दाम पर धान की फसल […]
परेशानी . क्रय केंद्रों का नहीं हुआ िनर्धारण
अरवल : धान की खरीदारी के लिए सरकार द्वारा 15 नवंबर को अधिसूचना जारी करने के तीन सप्ताह बाद भी अभी तक पैक्स अध्यक्ष द्वारा धान की खरीदारी नहीं की जा रही है, जिसके कारण किसान अपने आवश्यक कार्य के लिए औने-पौने दाम पर धान की फसल को बेचकर अपने खेतों में दूसरी फसल को लगाने की तैयारी में है. इस संदर्भ में दर्जनों पैक्स अध्यक्षों से संपर्क करने के बाद बताया गया कि अगले वर्ष कुहासा रहने के कारण धान में नमी अधिक होने के कारण खरीद नहीं की जा रही थी,
लेकिन इस वर्ष ऐसी स्थिति नहीं रहने के कारण कई किसान धान की बिक्री करने के लिए आये, लेकिन विभाग द्वारा धान क्रय करने के लिए अभी तक सीसी की राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है. किसानों के खाते में 24 घंटे के अंदर आरटीएस के माध्यम से राशि उपलब्ध कराने के लिए प्रावधान किया गया है. अगर धान की खरीद की भी जाती है तो राशि के अभाव में सरकार के आदेशों का अनुपालन संभव नहीं है. सरकार द्वारा धान क्रय के लिए जिला क्षेत्र में पिछले वर्ष 66 क्रय केंद्रों के अलावा दो व्यापार मंडलों के माध्यम से धान खरीद केंद्र बनाया गया था, लेकिन इस वर्ष अभी तक न तो क्रय केंद्रों का अता-पता चल रहा है न पैक्स को राशि उपलब्ध करायी गयी है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
सीसी की राशि बैंक में उपलब्ध हो गयी है. एकरारनामा करने के बाद शीघ्र ही पैक्स अध्यक्षों के खाते में राशि उपलब्ध हो जायेगी व धान क्रय का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ हो जायेगा.
डीसीओ
क्या कहते हैं किसान
धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से छोटे -मंझोले किसान व्यापारियों के हाथों औने-पौने दाम पर बेच कर खेतों में दूसरी फसल लगाने के लिए मजबूर हो गये हैं.
अश्विनी कुमार
कुटनी का कार्य समाप्ति की ओर है व अधिकतर किसान खलिहान से दउनी व जीरनी कर धान को अपने-अपने घरों में रखे हुए हैं. किसान धान को बेचने के लिए अपने-अपने क्रय केंद्रों के संचालकों से संपर्क भी स्थापित कर रहे हैं. मगर उनके द्वारा राशि उपलब्ध नहीं होने की बात कही जा रही है जिसके कारण किसान औने-पौने दाम पर धान व्यापारियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं.
राधाकांत शर्मा