शहर में नहीं एक भी सार्वजनिक शौचालय, गांव हो रहे ओडीएफ
अरवल : स्वच्छता से संबंधित किसी भी योजना का असर शहर में नहीं दिख रहा है. एक ओर जहां सूबे की सरकार गांव का निरीक्षण करा ओडीएफ कराने में जुटी हुई है, वहीं शहर में एक भी व्यवस्थित सार्वजनिक शौचालय नहीं है. सरकार द्वारा जहां स्वच्छ समाज निर्माण के लिए कई बहुपयोगी कदम उठाये जा […]
अरवल : स्वच्छता से संबंधित किसी भी योजना का असर शहर में नहीं दिख रहा है. एक ओर जहां सूबे की सरकार गांव का निरीक्षण करा ओडीएफ कराने में जुटी हुई है, वहीं शहर में एक भी व्यवस्थित सार्वजनिक शौचालय नहीं है. सरकार द्वारा जहां स्वच्छ समाज निर्माण के लिए कई बहुपयोगी कदम उठाये जा रहे हैं. वहीं उन कदमों का आंशिक असर भी अरवल में नहीं देखने को मिल रहा है. चाहे वह केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना हो या मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना अंतर्गत खुले में शौचमुक्त बिहार बनाने का सपना. शहर में शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से बाजार आये लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
इस समस्या के प्रति संबंधित अधिकारी का उदासीन रवैया लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. बताते चलें कि शहर में रहे वर्षों पहले निर्मित शौचालय लोगों के लिए इस्तेमाल के लायक नहीं होने के कारण लोग मजबूरन खुले में शौच को चले जाते हैं. शहर के लोग नगर पर्षद के उदासीन रवैया के कारण गंदगी भरे माहौल में जीने को विवश हैं. शहर की सूरत तेजी से बदल रही है. मॉल संस्कृति विकसित हुई है पर विकास के इस दौर के बीच जिला मुख्यालय जन सुविधाओं से वंचित है. शौचालय जरूरत शहर के अति व्यस्त एरिया में शामिल मुख्य बाजार, कचहरी, बस पड़ाव, प्रखंड परिसर के पास, सब्जी मार्केट आदि क्षेत्र में सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला इलाका होता है. इस लिहाज से इन स्थानों पर शौचालय की आवश्यकता है. शौचालय के अभाव में शहर के चारों ओर गंदगी का आलम है. शहर के लोगों ने जरूरत के हिसाब से जगह-जगह पर सुलभ शौचालय बनाने व उनके देखभाल करने की मांग उठायी है. पुराने शौचालय खंडहर में तब्दील है. वैसे तो दशकों पहले शहर में कुछ जगहों पर शौचालय का निर्माण किया गया था. पर आज जब शहर की सूरत बदली है व आबादी बढ़ी है,
तब यह शौचालय लोगों के कारगर नहीं हो रहा है. सही देखभाल व मरम्मती आदि नहीं होने के कारण यह शौचालय लोगों के लायक नहीं रह गया है. स्थानीय लोग दीपक कुमार, संतोष कुमार, बिट्टू कुमार आदि बताते हैं कि शहर में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शहर के अति व्यस्त इलाकों में अगर देखा जाये तो स्टेट बैंक में लोगों की दिनभर काफी भीड़ लगी रहती है. कचहरी परिसर में लोग अपने काम को लेकर आते हैं जिससे वहां भी बाहुल्य संख्या में लोग होते हैं. समाहरणालय में भी बड़ी मात्रा में लोगों का आना-जाना होता है, परंतु इस इलाके में एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं होने से लोगों को शर्मिंदगी के बीच यत्र-तत्र मल-मूत्र का त्याग करना पड़ता है. शहर की इस हालत का जिम्मेदार नगर पर्षद ही है.
नगर पर्षद के लापरवाह रवैया के कारण शहर में आने वाले लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में नगर पर्षद कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश राम से पूछे जाने पर बताया कि नगर पर्षद क्षेत्र में 26 शौचालय निर्माण के लिए टेंडर निकाला गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से टेंडर सफल नहीं हो पाया. इसके बाद पुनः नगर विकास विभाग से टेंडर की प्रक्रिया जारी करने का आदेश मांगा गया है. दो से तीन दिन में शौचालय निर्माण की निविदा निकाली जायेगी और बहुत जल्द शौचालय का निर्माण होगा.