BPSC : सेना से रिटायर्ड होकर कुर्था के अमर्त्य को मिला 156वां रैंक, वित्त सेवा के लिए हुए चयनित

कुर्था / अरवल : मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके कदमों में जान होते हैं, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होते हैं. इस युक्ति को चरितार्थ कर दिखलाया है कुर्था बाजार के एक गरीब परिवार में जन्मे अमर्त्य ने, जिन्होंने अपनी प्रतिभा का परचम लहरा कर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. जी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2019 3:02 PM

कुर्था / अरवल : मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके कदमों में जान होते हैं, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होते हैं. इस युक्ति को चरितार्थ कर दिखलाया है कुर्था बाजार के एक गरीब परिवार में जन्मे अमर्त्य ने, जिन्होंने अपनी प्रतिभा का परचम लहरा कर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया. जी हां, हम बात कर रहे हैं, अरवल जिले के कुर्था प्रखंड के एक गरीब परिवार में जन्मे अमर्त्य का. अमर्त्य के पिता उमेश ठाकुर कुर्था में ही एक निजी विद्यालय चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते है. कहते हैं प्रतिभा किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती, योग्यता को नकारा नहीं जा सकता. संघर्ष को पराजित नहीं किया जा सकता. विपरीत हालात को सफलता की सीढ़ी बनायी जा सकती है. हो दृढ़ संकल्प और समर्पण, तो सफलता आपके इर्द-गिर्द रहेगी.

अरवल जिले के कुर्था के अमर्त्य ने जो बिहार लोक सेवा आयोग में 63वीं परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त किया है. अमर्त्य बिहार वित्त सेवा हेतु वाणिज्य कर अधिकारी के पद पर चयनित होकर कुर्था के साथ साथ जिले का नाम रोशन किया है. विपरीत हालात में कुर्था के अमर्त्य ने भारतीय वायु सेना में 10 वर्ष सेवा देने के बाद कई अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी सफलता हासिल कर चुके हैं. परेशानियों से भागना आसान होता है. हर मुश्किल जिंदगी में एक इम्तिहान होता है. हिम्मत हारनेवाले को कुछ नहीं मिलता जिंदगी में और मुश्किलों से लड़नेवाले के कदमों में ही तो जहां होता है. अमर्त्य की इस कामयाबी से आसपास सहित क्षेत्र के लोग काफी प्रफुल्लित हो रहे हैं, तो वहीं बुद्धिजीवी वर्ग उनकी इस कामयाबी की सराहना करते नहीं थक रहे हैं. ग्रामीण परिवेश में रह कर पले-बढ़े अमर्त्य की यह कामयाबी उनकी सफलता को ही नहीं दर्शाती, बल्कि क्षेत्र में रह रहे छात्रों एवं युवाओं को सीख भी दे रहा है कि बहाना बना कर और बेवजह कारण बता कर कामयाबी से दूर होना खुद की कमजोरी है. एक प्रख्यात दार्शनिक ने कहा था कि कारण बता कर किसी मंजिल को छोड़ना खुद के नकामयाबी को साबित करता है. इसलिए जो कहा है सच ही कहा है. हौसला बुलंद हो तो मंजिले झुक कर सलाम करती हैं. अमर्त्य ने अपनी कामयाबी को दिखा कर साबित कर दिखाया है. हालांकि, अमर्त्य की कामयाबी पर उनके परिवार के अलावा कुर्था वासियों में काफी खुशी देखी जा रही है.

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