सोन का दियारा बना नशेड़ियों का अड्डा

अरवल : शराबबंदी के बाद शहर में नशीली दवाइयों का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है. नशा करने वाले अब एकांत जगह की तलाश में रहते है. जिसके लिए सोन नदी के दियारा को सबसे सेफ जगह समझते है. सोन दियारा क्षेत्र में दिन के दस बजे के बाद से जमघट शुरू […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 6, 2019 2:28 AM

अरवल : शराबबंदी के बाद शहर में नशीली दवाइयों का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर शुरू हो गया है. नशा करने वाले अब एकांत जगह की तलाश में रहते है. जिसके लिए सोन नदी के दियारा को सबसे सेफ जगह समझते है. सोन दियारा क्षेत्र में दिन के दस बजे के बाद से जमघट शुरू हो जाता है. शराब को लेकर की गयी सख्ती के बाद नशेबाजों का झुकाव बगैर डॉक्टरी परामर्श के प्रतिबंधित दवाओं की ओर हो गया है.

वे इन दवाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करते हैं. शराबबंदी के बाद इसके विकल्प के रूप में नशीली दवाओं का सेवन खुलेआम हो रहा है. ऐसी दवाओं के कारोबारी सीमावर्ती जिलों में अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो रहे हैं. इससे अवैध कारोबार को बढ़ावा मिल रहा है. सबकुछ जानकर भी विभाग अनजान बना है. बच्चे भी नशीले पदार्थों का सेवन कर रहे हैं.
क्या कहते हैं चिकित्सक
नशीली दवाओं के सेवन से रोगी को बहुत ही गंभीर किस्म का डिहाइड्रेशन, शरीर में पानी की कमी हो सकती है. इसके सेवन से किडनी की बीमारी या अवसाद भी होता है. नशीली दवाएं रोगी के निर्णय लेने की क्षमता पर असर डालती हैं. जरूरत से ज्यादा डोज लेने पर हर्ट अटैक की आशंका होती है जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.
ऐसे लोगों का प्रतिशत काफी अधिक है, जो मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए नशीली दवाएं लेते हैं. उनके सेवन से प्रारंभ में तो राहत सी महसूस होती है, लेकिन अंत बेहद बुरा होता है. इससे सभी तरह के बीमारियों के शिकार हो सकते है. आर्थिक समाजिक, मानसिक रूप से बीमार बनता है नशा.
डॉ अरविंद कुमार, चिकित्सक, सदर अस्पताल, अरवल

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