कुर्था (अरवल): प्रखंड स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन सीडीपीओ ने किया. शिविर को संबोधित करते हुए सीडीपीओ ने कहा कि कुपोषण मुक्त बिहार बनाना हमारा मुख्य उद्देश्य है. गांव के गरीब किसान व गरीब महिलाएं जानकारी के अभाव में कुपोषण के शिकार हो रही हैं.
महिलाओं में कुपोषण के शिकार होने पर समाज पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है. क्योंकि उनसे जन्म लेनेवाले बच्चे भी कुपोषण के शिकार हो जाते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि कुपोषण होने पर समाज पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है.
साथ ही कहा कि सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना कर बच्चों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त करने के जिम्मेवारी सेविकाओं को भी दी है. शिविर में महिला पर्यवेक्षिका कुमारी अंजलि व संजू कुमारी ने भी कुपोषण से बचने के कई उपाय बताया. पर्यवेक्षिकाओं ने कहा कि 0-3 वर्ष के बच्चों को सबसे ज्यादा कुपोषण होने की संभावना रहती है. मां को बच्चों पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. नवजात बच्चे को छह माह तक मां अपनी दूध पिलाये और छह माह के बाद बच्चों को दाल का पानी, पौष्टिक भोजन एवं साफ-सुथरी जगहों पर रखें. प्रशिक्षण शिविर में सेविका रेखा कुमारी, अंजू कुमारी, विभा कुमारी, अर्चना कुमारी समेत कई सेविकाएं उपस्थिति थीं.