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रक्तरंजित हुआ इमामगंज का इलाका, दहशत में लोग
करपी (अरवल) : इतिहास के पन्नों में लगभग आठ वर्ष बाद एक बार पुन: एक काला अध्याय नरसंहार शब्द जुट गया. वैसे तो नरसंहार स्थल एवं नरसंहार में मारे गये लोग पटना जिले के खीरी मोड़ थाना क्षेत्र में पड़ता है लेकिन घटनास्थल ब्रह्मपुरा से महज 10 कदम की दूरी के बाद ही अरवल जिले […]
करपी (अरवल) : इतिहास के पन्नों में लगभग आठ वर्ष बाद एक बार पुन: एक काला अध्याय नरसंहार शब्द जुट गया. वैसे तो नरसंहार स्थल एवं नरसंहार में मारे गये लोग पटना जिले के खीरी मोड़ थाना क्षेत्र में पड़ता है लेकिन घटनास्थल ब्रह्मपुरा से महज 10 कदम की दूरी के बाद ही अरवल जिले के करपी किंजर थाना क्षेत्र शुरू हो जाता है. इमामगंज जम्हारू पंचायत का यह क्षेत्र कहने को पटना जिले में पड़ता है.
सरकारी व्यवस्था को छोड़ दिया जाये तो इन क्षेत्र के लोगों को अरवल जिले से ही लेना-देना होता है. दो जिलों की हृदयस्थली कहे जानेवाला एनएच 110 पर स्थित इमामगंज जम्हारू पंचायत उग्रवादियों के लिए शरणस्थली भी माना जाता है.
हाल के वर्षो को छोड़ दिया जाये, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि ‘न मस्ती, न गश्ती, उग्रवाद प्रवृत्ति के लोगों के लिए रहता है मटरगश्ती.’ पूर्व के वर्षो में झांका जाये तो शायद ही कोई पखवारा बचा होगा, जब उग्रवादियों के द्वारा छोटी-बड़ी घटनाओं का अंजाम नहीं दिया जाता होगा. चाहे वह गोलीबारी या हत्या की घटना क्यों न हो.
अपराधियों एवं उग्रवादियों के लिए यह स्थान काफी सुरक्षित होता है, जिसका मुख्य कारण यह क्षेत्र पटना जिले में होना. जिस प्रकार कहा जाता है कि 32 दांतों में एक जीभ होती है. उसी प्रकार इमामगंज भी एक जीभ के समान ही है. कहने को एक है लेकिन यह बारूदी सुरंग पर ही हमेशा रहा है. कोई इमामगंज पंचायत की चारों ओर अरवल जिले के करपी या किंजर थाना का क्षेत्र पड़ता है.
80 के दशक के बाद निजी सेना और नक्सली संगठन के आपसी वर्चस्व इस क्षेत्र में इतना बढ़ गया था कि शाम ढलते ही इमामगंज बाजार में सन्नाटा पसर जाता था.
वर्चस्व की लड़ाई में कई निदरेष लोगों की भी जानें गयी थीं. पूर्व के इतिहास के पन्नों को उलटा जाये, तो अब तक यहां एक दर्जन लोग उग्रवादियों या अपराधियों की गोली के शिकार हो गये हैं. इमामगंज एवं इसके एक किलोमीटर के अंदर के क्षेत्र में रामपुर निवासी शिक्षक रामप्रवेश सिंह, कामेश्वर सिंह, शराब व्यवसायी अविनाश उर्फ डिस्को, अंडा विक्रेता संजय गुप्ता, श्रवण कुमार वर्मा, नक्सली से ताल्लुक रखनेवाला शंकर बैठा, टायर पंक्चर बनानेवाले समेत दर्जनों लोग गोली के शिकार हो गये, तो वहीं आधे दर्जन लोग गोली से जख्मी भी हो चुके हैं. छह माह पूर्व भी मुंगिला गांव तीन विंद परिवार के तीन बच्चों की गला दबा कर हत्या कर दी गयी थी.
रविवार की रात की नरसंहार ने एक बार पुन: इस क्षेत्र को अशांत कर दिया है. यह कहना गलत नहीं होगा कि इस घटना के बाद बदले की कार्रवाई नहीं होगी. यदि पुलिस सक्रिय नहीं रही, तो फिर किसी निदरेष की जानें जा सकती हैं. इसके लिए अरवल एवं पटना पुलिस को संयुक्त रूप से कार्रवाई करनी होगी.
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