आखिर किसने मारा 23 लोगों को, आज भी कानों में गूंजती हैं गोलियों की तड़तड़ाहट

शंकर बिगहा नरसंहार के पीड़ित परिवारों ने जांच प्रक्रिया पर उठाया सवाल, कहा अरवल (नगर) : लंबी जांच प्रक्रिया का नतीजा ही है कि 25 जनवरी, 1999 में हुए शंकर बिगहा नरसंहार का मामला 13 जनवरी, 2014 तक सिर्फ जिला कोर्ट की सीढ़ी पार सका. इसके बाद सभी आरोपितों का बरी होना, कई सवाल खड़े […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 7:35 AM
शंकर बिगहा नरसंहार के पीड़ित परिवारों ने जांच प्रक्रिया पर उठाया सवाल, कहा
अरवल (नगर) : लंबी जांच प्रक्रिया का नतीजा ही है कि 25 जनवरी, 1999 में हुए शंकर बिगहा नरसंहार का मामला 13 जनवरी, 2014 तक सिर्फ जिला कोर्ट की सीढ़ी पार सका. इसके बाद सभी आरोपितों का बरी होना, कई सवाल खड़े करता है. कारण चाहे जो भी हो, लेकिन इस फैसले ने पीड़ित परिवार की आस खत्म कर दी. सभी पीड़ित परिवार हतप्रभ हैं.
आज भी कानों में गूंजती हैं गोलियों की तड़तड़ाहट
इस फैसले के बाद शंकर बिगहा गांव के निवासी मायूस हैं. कोई कुछ कहने को तैयार नहीं. सभी के कलेजे पर चोट लगी है. भीतर ही भीतर घुटन महसूस कर रहे हैं. काफी कुरेदने के बाद ठंड की उस रात का वाक्या याद करते हैं और कहते हैं कि आज भी हल्की की आवाज होती है तो नींद खुल जाती है.
हथियारों से लैस अपराधियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसायी थीं. उस दिन को याद करते हुए एक ग्रामीण ने कहा कि घायल होने के बाद भी हम लोग छिप कर देख रहे थे. आज भी रात में कानों में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती है. ग्रामीणों ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि नरसंहार के आरोपितों को सजा-ए-मौत मिलेगी, पर सभी बरी हो गये.

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