खुद के घर दुरुस्त नहीं, कैसे दूर करेंगे ग्रामीणों की परेशानी
समस्या : मौत को दावत दे रहे प्रखंड मुख्यालय में कर्मियों के लिए बने क्वार्टर सूबे की सरकार विकास के वायदे और कार्य योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कवायद में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. वहीं, करपी प्रखंड कार्यालय परिसर में बना आवासीय भवन की बदहाली इलाके में विकास की योजनाओं की जमीनी […]
समस्या : मौत को दावत दे रहे प्रखंड मुख्यालय में कर्मियों के लिए बने क्वार्टर
सूबे की सरकार विकास के वायदे और कार्य योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कवायद में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. वहीं, करपी प्रखंड कार्यालय परिसर में बना आवासीय भवन की बदहाली इलाके में विकास की योजनाओं की जमीनी सच्चई उजागर कर रही है. जिस पर है प्रखंड के विकास की जिम्मेवारी, वह खुद दूसरे विभाग के भवन में अपना आशियाना बनाये हुए है.
करपी (अरवल) : प्रखंड मुख्यालय में प्रखंड कार्यालय के कैंपस के अंदर खंडहर में तब्दील इन भवनों को उद्धार करने वाला कोई नहीं है. कभी इन भवनों में बीडीओ से लेकर प्रखंड के सभी कर्मचारी सपरिवार रहते थे, लेकिन रखरखाव के अभाव में धीरे-धीरे भवन खंडहर में तब्दील हो गया.
इन सरकारी क्वार्टर में रहना मौत को दावत देने के समान है. परिणाम स्वरूप बीडीओ साहब को कृषि भवन में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. अन्य कर्मचारी भी किराये के मकान में रह रहे हैं. करपी जैसे छोटे बाजार में किराये पर मकान मिलना भी काफी मुश्किल है.
ऐसे में कई कर्मचारी सरकारी आदेश के विपरीत जहानाबाद या अन्य जगहों पर मकान लेकर रह रहे हैं. इसे विडंबना कहें या कुछ और की जिस कार्यालय से प्रखंड क्षेत्र के लोग को विकास की उम्मीद लगी है, उस कार्यालय के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक आवास के लिए भटक रहे हैं. जिले का सबसे बड़ा प्रखंड होने के कारण यहां कार्य करनेवाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों की व्यस्तता ज्यादा रहती है.
कर्मचारी काम निबटाने के साथ-साथ समय पर अपने दूसरे जगह लिये गये आवास तक पहुंचने की जल्दी में रहते हैं. इससे विकास कार्य के साथ-साथ आम-अवाम का कार्य भी प्रभावित होता है. पदाधिकारी चाह कर भी सरकार के उस फरमान को की प्रखंड कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी मुख्यालय में ही रहेंगे का पालन नहीं करवा पाते हैं. इस बदहाली के लिए न तो जिला प्रशासन आगे आ रहा है और न ही इस दशा को सुधारने की कवायद विकास की बात करनेवाले जनप्रतिनिधि कर रहे हैं.
ऐसे में प्रखंड मुख्यालय से बाहर रहनेवाले कर्मचारी भी कार्यालय देर से पहुंचते हैं और बस पकड़ने की जल्दी में कार्यालय भी समय से पहले छोड़ देते हैं.