निष्ठावान व्यक्तियों की सफलता चरण चूमती है

करपी (अरवल) : निष्ठावान व्यक्तियों की सफलता चरण चूमती है. ऐसे लोग जीवन में न सिर्फ अनुपम आनंद प्राप्त करते हैं, बल्कि दूसरों को आनंदित करते हैं. प्रखंड क्षेत्र के खजुरी गांव में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हठयोगी जी महाराज ने कहा कि अनुराग के प्रति निष्ठावान […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 25, 2015 7:27 AM
करपी (अरवल) : निष्ठावान व्यक्तियों की सफलता चरण चूमती है. ऐसे लोग जीवन में न सिर्फ अनुपम आनंद प्राप्त करते हैं, बल्कि दूसरों को आनंदित करते हैं. प्रखंड क्षेत्र के खजुरी गांव में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए हठयोगी जी महाराज ने कहा कि अनुराग के प्रति निष्ठावान व्यक्ति को गर्भ के प्रथम चरण में भगवान का साक्षात्कार हो जाता है.
भगवान उसकी सुरक्षा करते हैं. उन्होंने इसकी पुष्टि के लिए धर्मशास्त्र के प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्तरा ने साधना कर गर्भाशय में पल रहे बच्चे की सुरक्षा की प्रार्थना की. उसकी प्रार्थना को सुन कर भगवान गर्भाशय में प्रविष्ट हुए और गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षा की. आगे चल कर वही राजा परीक्षित हुए.
पांडवों के सारे अवशेष समाप्त होने के उपरांत एकमात्र परीक्षित ही धर्मरक्षा के लिए गद्दी पर आसीन हुए. इसके उपरांत अपने पूरे राज्य की परिक्रमा के उपरांत कलियुग जी महाराज को स्थान प्रदान किया. कलियुग जी प्रसन्न हुए. राजा परीक्षित अपने पूर्वजों का मुकुट धारण किये, क्योंकि सोने में कलियुग का वास होता है. कलियुग का भरपूर प्रमाण आछादित हो गया.
प्यासे परीक्षित ने मरा हुआ सर्प मुनि के गले में लपेट दिया और अपने राज्य में लौट गये. कौशिकी नदी से जल ला कर ऋषि पुत्र ने अभिमंत्रित कर श्रप दिया कि आज के सातवें दिन महीतक्षम राजा को डंस लेगा. इसके फलस्वरूप राजा की मौत होगी. राजा को इस श्रप की जानकारी हो गयी. इस श्रप से बचने के लिए राजा ने श्रीमद्भागवत का श्रवण किया. राज्य का त्याग कर नैम्य सारण तीर्थ में अपने गुरुदेव शुकदेव जी का आह्वान किया.
राजा ने पूरी कथा का श्रवण किया, तब उन्हें साक्षात परमात्मा का दर्शन हुआ. उनके चरणों में पुष्प अर्पित कर मोक्ष प्राप्त किया. विकृति को दूर करते हुए माता-पिता के चरणों में एवं प्रभु के चरणों में जो अनुराग रखता है, वह धर्मराज के रूप में धरती पर कार्य करता है. वह मां-बाप का दुलारा तथा राष्ट्र का कर्णधार होता है.

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