अरवल (ग्रामीण) : जिले क्षेत्र से गुजरनेवाली सोन नद के पानी के बहाव में दर्जनों गांवों का अस्तित्व जहां संकट में है, वहीं कई गांव नद के गर्भ में विलीन भी हो गया है. कटाव के कारण कई गांवों के किसान आज भूमिहीन की स्थिति में आ गये हैं. इसका मुख्य कारण कटाव के बाद रेत का जमा होना है. बरसात के मौसम आने के भय से तट पर अवस्थित गांवों के लोग सशंकित हैं.
तटबंध को मजबूत करने के लिए तट पर बसे लोगों द्वारा अनेकों बार सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी गयी, लेकिन परिणाम शून्य रहा. मालूम हो कि अरवल जिले क्षेत्र से गुजरनेवाली सोन नद ने कई गांवों क ो अपने अंदर समेट चुकी है, जिसके कारण काफी संख्या में लोग विस्थापित हो गये हैं. वहीं, कई लोग किसान से मजदूर बन गये हैं तथा अपनी रोजी-रोटी जुटाने में लगे हैं. प्रखंड के बेलांव, सेहसा, बाथे, मल्हीपट्टी, कागजी मुहल्ला, मदन सिंह का टोला, छपरा, अहियापुर सहित कई अन्य गांवों के लोग सोन नद के कटाव से विस्थापित होने के बाद अन्यत्र स्थानों पर अपना घर बना कर रह रहे हैं.
पूर्व में इन गांवों में रहनेवाले दर्जनों किसान, जो केवल खेती पर निर्भर थे, आज भूमि के अभाव में अन्यत्र मजदूरी कर घर-परिवार चला रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष बरसात के समय में तटबंध पर बसे गांव सोन नद की तेज धार में निरंतर कटते जा रहे हैं, जिसके कारण तट पर बसे दर्जनों लोग पुन: बेघर होने की स्थति में हैं.
ग्रामीणों द्वारा अनेकों बार स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन से तटबंधों में हो रहे कटाव को रोकने तथा सुरक्षा बांध निर्माण कराने की गुहार लगायी गयी है, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया.