पांच राजस्व कर्मचारियों पर 11 पंचायतों की जिम्मेवारी
न सीआइ, न कर्मचारी, भूमि विवाद कैसे निबटायेंगे अधिकारी कुर्था प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ भूमि पर विवाद चल रहा है. इसको लेकर कई छोटी-बड़ी घटनाएं आये दिन घट रही है. इन मामलों को निबटाने में अंचल कार्यालय अक्षम साबित हो रहा है. प्रखंड के अंतर्गत 11 पंचायतें आती है, जिसकी जिम्मेवारी मात्र पांच राजस्व […]
न सीआइ, न कर्मचारी, भूमि विवाद कैसे निबटायेंगे अधिकारी
कुर्था प्रखंड क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ भूमि पर विवाद चल रहा है. इसको लेकर कई छोटी-बड़ी घटनाएं आये दिन घट रही है. इन मामलों को निबटाने में अंचल कार्यालय अक्षम साबित हो रहा है. प्रखंड के अंतर्गत 11 पंचायतें आती है, जिसकी जिम्मेवारी मात्र पांच राजस्व कर्मचारियों पर है.
सीआई का पद भी रिक्त है, नतीजा एक कर्मचारी को सीआइ का पदभार सौंप दिया गया है. अंचल कार्यालय में महज एक अमीन कार्यरत हैं. अंचल कार्यालय में फिलहाल 39 मामले हैं, जिनमें छह भूमि सुधार उपसमाहर्ता के पास भेज दिया गया है, शेष 33 मामले लंबित हैं.
कुर्था (अरवल) : लगातार बढ़ रहे भूमि विवाद पर नियंत्रण में प्रशासन पूरी तरह विफल साबित हो रहा है. आये दिन भूमि विवाद को लेकर प्रखंड क्षेत्र में छोटी से लेकर बड़ी घटनाएं घट रही हैं. लगभग प्रतिदिन भूमि विवाद से संबंधित मामले थाने से लेकर कोर्ट में दर्ज हो रहे हैं.
प्रखंड क्षेत्र के सैकड़ों एकड़ भूमि पर विवाद चल रहा है, जिसको लेकर मारपीट से लेकर हत्या तक की घटनाएं घट चुकी हैं. इस मामले के बारे में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी ने बताया कि अंचल क्षेत्र में कितने एकड़ भूमि पर विवाद है, इसकी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है, परंतु 39 मामले अंचल कार्यालय में हैं. इनमें से छह मामले को अंचल कार्यालय द्वारा भूमि सुधार उपसमाहर्ता के पास भेजा जा चुका है. हालांकि अभी भी 33 मामले लंबित पड़े हैं.
जानकार लोगों का कहना है कि इनमें कई मामले वर्षो पुराने हैं, जिनके पक्ष व विपक्ष अब इस दुनिया में नहीं रहे. ऐसे कुछ मामलों में उनके उत्तराधिकारी स्थानीय लोगों की पहल पर आपस में समझौता कर लिये हैं, तो कई के उत्तराधिकारी आज भी पूर्वजों की लड़ाई को जारी रखे हुए हैं.
हालांकि बहुत से मामले स्थानीय अधिकारियों व पुलिस प्रशासन की तत्परता से सलटाये जा सकते थे, परंतु शायद ही कोई मामला ऐसा होगा, जिसे इनके द्वारा सुलह-समझौता कराया गया होगा. कई मामले के पक्षकारों द्वारा अंचल कार्यालय, थाना, एसपी व जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक गुहार लगायी गयी, परंतु इस दिशा में सार्थक पहल नहीं होने से विवाद यथावत बरकरार है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कर्मचारी की कमी का मामला है, तो हम कुछ नहीं कर सकते हैं. इसमें डीएम साहब ही बता सकते हैं.
संजीव जमुआर, भूमि सुधार उपसमाहर्ता