करपी (अरवल) : वंशी थाना क्षेत्र के मोगलापुर गांव में आधे दर्जन से अधिक हत्याएं अब तक हो चुकी हैं. प्रत्येक हत्याकांड के बाद स्थानीय जन प्रतिनिधि के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के जन प्रतिनिधि पीडि़त परिवारों के आंसू पोछने आते रहे हैं. लेकिन घटना स्थल से वापस लौटते ही इस गांव को भूल जाते हैं. यही कारण है कि मोगलापुर गांव आज तक विकास रोशनी से महरूम है.
गांव में जाने के लिए कच्ची सड़क ही है.प्रखंड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर दूरी पर स्थित गांव में जाने के लिए कच्ची सड़क की हालत भी खराब है . पुनपुन नदी के तट पर बसे इस गांव की आबादी लगभग दो हजार है. इतनी हत्याओं का दंश झेलने के बाद भी कच्ची सड़क का पक्कीकरण या पीसीसी नहीं करवाया जा रहा है. प्रमोद गुप्ता की हत्या के बाद दो-दो विधायक एवं प्रशासनिक महकमा वहां घंटो रहा. लेकिन शायद ही इन लोगों का ध्यान इस गांव की दुर्दशा पर गई है.
खराब सड़क होने के कारण पुलिस को रात्रि गश्त करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. यदि रात्रि गश्त सुचारू ढंग से हो तो हत्याओं पर शायद अंकुश लग जाये. बता दें कि इस गांव में पहली हत्या मृतक के पिता विशु साव एवं मुंशी यादव की हत्या 1978 में हुई थी. उस समय प्रमोद गुप्ता महज तीन माह का था. शुक्रवार की शाम प्रमोद साव की हत्या के बाद सभी लोग यही चर्चा कर रहे थे कि पिता से शुरू होकर पुत्र भी मारा गया. आखिर कब तक मोगलापुर में हत्याओं का दौर चलता रहेगा. यह एक महत्वपूर्ण सवाल है.