उत्पाद शुल्क लागू होने से पुश्तैनी कारोबार पर बढ़ा खतरा

कुर्था (अरवल) : केंद्र सरकार की नयी नियमावाली से गहना बनानेवाले कारीगरों के समक्ष संकट उत्पन्न हो गया है. गरीब कारीगर अपनी पारंपरिक कला से पलायन को मजबूर दिख रहे हैं. मगध के इलाके में गरीब स्वर्णकारों की तादाद सबसे ज्यादा है. मगध प्रमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी अपना कलेजा जलाकर दूसरों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 29, 2016 3:20 AM

कुर्था (अरवल) : केंद्र सरकार की नयी नियमावाली से गहना बनानेवाले कारीगरों के समक्ष संकट उत्पन्न हो गया है. गरीब कारीगर अपनी पारंपरिक कला से पलायन को मजबूर दिख रहे हैं. मगध के इलाके में गरीब स्वर्णकारों की तादाद सबसे ज्यादा है. मगध प्रमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी अपना कलेजा जलाकर दूसरों की खातिर गहना तैयार करने वाले कारीगरों के समक्ष अपनी पारंपरिक व पुश्तैनी व्यवस्था ही परिवार के भरण-पोषण का साधन बना है.

एक ओर देश में कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है. लेकिन इस कौशल विकास की श्रेणी में पारंपरिक स्वर्ण शिल्पकला को नहीं रखा गया है. स्वर्णकार समाज के विकास के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है तो, दूसरी तरफ पारंपरिक व्यवस्था में भी उत्पाद कर के बहाने न केवल एक प्रतिशत टैक्स लगाया जा रहा है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से कारीगर इसे व्यवसाय व कारीगरी पर अंकुश मान रहे हैं.

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