बुलंद सेहत में बाधक बन रहे क्षेत्र के नीम-हकीम

अरवल : स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन नये -नये खोज एवं आविष्कार किये जा रहे हैं. सभी मर्जों की दवाएं भी विकसित कर ली गयी है. चिकित्सा के क्षेत्र में स्थापित किये गये कीर्तिमान के बाद भी गांव में नीम हकीम का जलवा कायम रहता है. झोला छाप चिकित्सक बुलंद सेहत के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2016 3:57 AM

अरवल : स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में दिन प्रतिदिन नये -नये खोज एवं आविष्कार किये जा रहे हैं. सभी मर्जों की दवाएं भी विकसित कर ली गयी है. चिकित्सा के क्षेत्र में स्थापित किये गये कीर्तिमान के बाद भी गांव में नीम हकीम का जलवा कायम रहता है. झोला छाप चिकित्सक बुलंद सेहत के बाधक बने रहते हैं.

ब्लड सुगर, हाइपरटेंशन, गैस्ट्रीक सहित कई बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं. हालांकि कई स्वयंसेवी संगठनो द्वारा स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के लिए अभियान चलाया जाता है.शिविर के माध्यम से जीवन जीने की कला सिखायी जाती है. इसके बावजूद भी लोग फास्ट एवं जंक फुड पर टुट पड़ते हैं. फलत: कई प्रकार कई प्रकार के बीमारियों की चपेट में आ जाते है. दुरवर्ती इलाकों में लगातार शिविर लगाकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान चलाया जाता है. लोग इन आयोजनों की तरफ आकर्षित भी होते है इसका प्रभाव भी पड़ रहा है.

नीम हकीम बन रहे बाधक : ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर यह देखा जाता है कि कोई बीमारी हुई तो सीधे हकीम के पास पहुंच जाते हैं. हकीम द्वारा इलाज तो किया जाता है लेकिन मर्ज नियंत्रित होने के बजाय जान पर हावी हो जाता है. ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में स्वस्थ समाज बनाने में ग्रामीण चिकित्सक भी रोड़ा बनते हैं. अक्सर यह देखा जाता है कि लोग कम पैसे के चक्कर में इन चिकित्सकों के पास पहुंच जाते हैं. वैसे चिकित्सक जिनके पास न ताे डिग्री और न अनुभव है. मरीज बच गया तो भगवान की कृपा से.
हावी हैं बिचौलिये : सदर अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर बिचौलिये हावी रहते हैं. इन बिचौलियों द्वारा मरीजों को बेहतर इलाज का झांसा देकर ग्रामीण चिकित्सकों के पाले में डाल दिया जाता है. जिससे मरीजों का आर्थिक शोषण तो किया ही जाता है जान भी जोखिम में पड़ जाता है.
व्यायाम में भी नहीं रहती रुची : कई संगठनों द्वारा शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में योग शिविर के द्वारा कई प्रकार के व्यायाम सिखाये जाते हैं संस्थान के लोगों का कहना है कि अगर प्रतिदिन नियमित रूप से आधा घंटा व्यायाम किया जाय तो सभी रोगों पर काबू पाया जा सकता है. फिर भी बहुत कम ही लोग शिविर में जा पाते हैं.

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