डच शैली में बनाया गया पंचायत भवन उपेक्षित
1904 में रखी गयी थी आधारशिला कुर्था (अरवल) : प्रखंड क्षेत्र के लारी गढ़ पर बना पंचायत भवन सूबे का पहला पंचायत भवन है, जिसे एडवर्ड पंचायत गृह भी कहा जाता है. इसकी नीव 1904 में रखी गयी थी और 1911 में यह पंचायत भवन पूरी तरह बन कर तैयार हो गया था. जब देश […]
1904 में रखी गयी थी आधारशिला
कुर्था (अरवल) : प्रखंड क्षेत्र के लारी गढ़ पर बना पंचायत भवन सूबे का पहला पंचायत भवन है, जिसे एडवर्ड पंचायत गृह भी कहा जाता है. इसकी नीव 1904 में रखी गयी थी और 1911 में यह पंचायत भवन पूरी तरह बन कर तैयार हो गया था. जब देश अंगरेजों का गुलाम था, तब इस ग्राम पंचायत की परिकल्पना वर्ष 1901 में प्रयाग में हुई छठी भूमिहार-ब्राह्मण महासभा में तैयार की गयी थी. इसे अमल में लाने में स्थानीय निवासी आदित्य प्रसाद सिंह ने अहम भूमिका निभायी थी. यह पंचायत भवन डच शैली में निर्मित है. ग्रामीणों के बीच यह बंगला के नाम से विख्यात है.
न केवल बिहार, बल्कि ओड़िशा तक के लोगों का जुड़ाव इस पंचायत भवन से रहा है. आजादी से पहले देश में पंचायतों के गठन में एडवर्ड पंचायत भवन ने अग्रणी भूमिका निभायी. इससे प्रेरणा लेकर कई जगहों पर ग्राम पंचायतों का गठन किया गया और बैठक करने को पंचायत भवन बनाया गया, लेकिन पंचायती राज व्यवस्था के कारण इस ऐतिहासिक भवन का आज बुरा हाल है. इस पंचायत भवन का उद्घाटन गया के तत्कालीन जिलाधिकारी जीटी छीटो ने किया था. इस समारोह में सभापति के तौर पर गया के तत्कालीन न्यायाधीश इ.इ. फोरेस्टर भी मौजूद थे.
लारी ग्राम पंचायत गठन में तत्कालीन बंगाल सरकार के चीफ सेक्रेटरी सर रॉवर्ट कारलाइल, पटना के तत्कालीन कमिश्नर सीएडब्ल्यू, मौलाना मजरुल हक, मोती लाल घोष, बाबू ब्रजकिशोर प्रसाद, नंदकिशोर लाल, शिशिर कुमार घोष, रमेशचंद्र दत्त एवं अन्य उच्च पदाधिकारी व नेताओं ने अहम भूमिका निभायी थी.
गांव के ही आदित्य प्रसाद सिंह का योगदान सराहनीय था. उस वक्त ग्राम पंचायत भवन निर्माण के लिए पांच हजार रुपये की कार्ययोजना बनायी गयी थी और पूरी धनराशि चंदे के रूप में एकत्र करने का निर्णय लिया गया था. हालांकि 2003 में इस भवन की मरम्मत व जीर्णोद्धार तत्कालीन सांसद अरुण कुमार की विकास निधि से कराया गया था. विगत 2001 के पंचायत चुनाव के समय इसका विघटन कर दिया गया और इसे लारी के बजाय अहमदपुर हरणा में शामिल कर दिया गया.