दो जून की रोटी को तरस रहीं विधवा और दो बेटियां
कुर्था अरवल : कहते हैं गरीबी तोड़ देती है जो रिश्ते खास होते हैं, पराये अपने होते हैं जब पैसा पास होता है. ये युक्ति सटीक बैठती है प्रखंड क्षेत्र के दतोई गांव के विधवा मुन्नी देवी पर. इनके पति के मौत के बाद इनकी आर्थिक स्थिति वद से बदतर होती चली गयी. जिसके वजह […]
कुर्था अरवल : कहते हैं गरीबी तोड़ देती है जो रिश्ते खास होते हैं, पराये अपने होते हैं जब पैसा पास होता है. ये युक्ति सटीक बैठती है प्रखंड क्षेत्र के दतोई गांव के विधवा मुन्नी देवी पर. इनके पति के मौत के बाद इनकी आर्थिक स्थिति वद से बदतर होती चली गयी. जिसके वजह से उक्त विधवा अपने दो विवाहित पुत्री के साथ दो जून की रोटी को तरस रही है.
बावजूद अब तक उक्त विधवा के हालात को जानने न तो कोई सामाजिक संगठन आगे आया और न ही प्रशासन का कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधि. इस बाबत विधवा मुन्नी देवी ने बताया की मेरे पति उमेश सिंह का निधन विगत छ: वर्ष पूर्व ही हो गयी थी.
मेरी पुत्री रिंकी कुमारी 30 वर्ष एवं पिंकी कुमारी 23 वर्ष. पिंकी की शादी इमामगंज बाला पर के युवक रोहित कुमार के साथ हुई थी जिससे एक बच्चा भी है. परन्तु बच्चे के जन्म के बाद से ही पति ने छोड़ दिया था. वही दूसरी पुत्री रिंकी कुमारी की शादी 10 वर्ष पूव सचई गांव निवासी मिथलेश सिंह के पुत्र रंजीत कुमार से हुई थी. जिसका पति भी उसे छोड़ दिया. अब उक्त विधवा दोनों विवाहित युवती के साथ छतोई गांव में अपने घर में रह रही है. जिनकी स्थिति इन काफी दयनिय है. उनका परिवार दाने दाने को तरस रहा है. वहीं विधवा महिला ने बताया कि विगत एक वर्ष से विधवा पेंशन की राशि भी नहीं मुहैया करायी गयी है.
हालांकि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी उक्त समस्या से अंजान बने हैं. इस बाबत प्रखंड विकास पदाधिकारी विवेक कुमार ने कहा कि मैं आंगनबाड़ी केंद्र से उक्त परिवार के भोजन का प्रबंध करता हूं साथ ही पीएचसी के चिकित्सकों को स्वास्थ्य जांच के लिए भेज रहे हैं. आखिर देखना यह होगा कि उक्त विधवा के परिवार के दयनीय हालत पर कौन आगे आता है.