स्लेट के बजाय मासूम हाथों में है लबनी

लगा ग्रहण . हड़ताल के कारण स्कूल बंद, बाप ने ताड़ी बेचने की लगायी ड्यूटी करपी (अरवल) : आम तौर पर कोई भी अभिभावक अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर चिंतित रहता है. उसका बेटा पढ़- लिखकर बड़ा आदमी बने, ऊंचे ओहदे पर नौकरी करे यह उसकी तमन्ना होती है. लेकिन इससे इतर कुछ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 25, 2017 3:51 AM

लगा ग्रहण . हड़ताल के कारण स्कूल बंद, बाप ने ताड़ी बेचने की लगायी ड्यूटी

करपी (अरवल) : आम तौर पर कोई भी अभिभावक अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को लेकर चिंतित रहता है. उसका बेटा पढ़- लिखकर बड़ा आदमी बने, ऊंचे ओहदे पर नौकरी करे यह उसकी तमन्ना होती है. लेकिन इससे इतर कुछ अभिभावक ऐसे हैं, जिन्हें अपने बच्चे के भविष्य की चिंता नहीं है. इसे उनमें सिविक सेंस का अभाव कहा जाये या गरीबी, जिसके कारण वे अपने मासूम बच्चे को पढ़ने के लिए हाथ में स्लेट थमाने के बजाय आमदनी करने के उद्देश्य से ताड़ी बेचने पर लगा देता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि ऐसी बातें सड़कों पर उद्धरित हो रही है.
करपी शहर तेलपा पथ पर पुराना मोड़ के निकट चौथी क्लास का एक छात्र को ताड़ी बेचते हुए देखा गया है. इस मासूम बच्चे को तीखी धूप में पढ़ाई-लिखाई छोड़ स्कूल ड्रेस में ताड़ी बेचते हुए जिसने देखा वे अचंभित रह गये. ऐसा हो रहा है शिक्षकों की हड़ताल के कारण. करपी एवं वंशी प्रखंडों में हड़ताल के कारण शिक्षा व्यवस्था इन
दिनों एक तरह से चरमरा गयी है. शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने के बाद छात्रों की बल्ले-बल्ले हैं. कई छात्र खेल में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं, तो कुछ छात्र ऐसे भी हैं जो अपने माता- पिता के कामों में हाथ बटा रहे हैं. करपी शहर तेलपा पथ पर पुरान मोड के निकट चौथे क्लास का एक छात्र को ताड़ी बेचते हुए देखा गया है.
पूछने पर इस ने बताया कि स्कूल में हड़ताल है, तो विद्यालय बंद होने के कारण पिताजी के कामों में हाथ बटा रहे हैं. इसके पिता ताड़ के पेड़ पर से ताड़ी उतारते हैं और बच्चे इस ताड़ी को बेचता है. हालांकि वंशी प्रखंड के अधिकतर स्कूलों एवं करपी प्रखंड के सुदूर इलाके के जिन विद्यालयों के शिक्षक हड़ताल पर नहीं गये हैं, वहां भी शिक्षा व्यवस्था इन दिनों चरमरा गयी है. वहां के शिक्षक पूर्वाह्न 8:00 बजे के बाद ही विद्यालय पहुंचते हैं. जबकि विद्यालय खुलने का समय इससे पहले है. इतना ही नहीं विद्यालय आने में एवं बच्चों को मध्याह्न भोजन कराने के बाद शिक्षक वापस अपने घर लौट जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में खास करके यह स्थिति देखी जा रही है.
ऐसा ही देखने को मिला रामगढ़ मोड़ के पास, जहां साढ़े सात बजे तक कुछ शिक्षिकाएं वंशी प्रखंड के विभिन विद्यालयों में पढ़ाने के लिए पैदल जा रही थी, वो कितने बजे विद्यालय पहुंचती है. बहरहाल उपर्युक्त स्थितियों से स्पष्ट है कि शिक्षकों की हड़ताल से शैक्षणिक व्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा है.
जहां नहीं है हड़ताल, वहां भी पढ़ाई के प्रति शिक्षक बरत रहे लापरवाही
कुछ अभिभावक ऐसे हैं, जिन्हें अपने बच्चे के भविष्य की चिंता नहीं
स्कूल ड्रेस में छात्र को ताड़ी बेचते हुए जिसने देखा, वे अचंभित रह गये

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