बिहार की 94000 आशा कार्यकर्ता लौटेंगी काम पर, तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद खत्म हुई हड़ताल
बिहार में 32 दिनों से चल रही आशा कार्यकर्ता की हड़ताल शनिवार को समाप्त हो गई. सरकार के साथ हुई बातचीत के बाद आशा कार्यकर्ता संघ ने इस बात का ऐलान किया.
बिहार में 12 जुलाई से हड़ताल पर गई आशा कार्यकर्ता और आशा फैसलिटेटर ने शनिवार को हड़ताल समाप्त करने की घोषणा कर दी है. आशा कार्यकर्ताओं ने सरकार से वार्ता के बाद यह फैसला लिया है. स्थानीय स्तर पर जनता के बीच काम करने वाली ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता अब अपने-अपने काम पर लौट जायेंगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने इनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर उचित निर्णय लेने का आश्वासन दिया है.
आशा कार्यकर्ताओं को पचीस सौ रुपये मिलेगा मासिक मानदेय
राज्य के आशा कार्यकर्ताओं को अब पचीस सौ रुपये मासिक मानदेय मिलेगा. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आशा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में उन्हें यह आश्वासन दिया है. इससे राज्य सरकार के खजाने पर सालाना 180 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.
तेजस्वी यादव ने मानदेय ढाई गुणा बढ़ाने का दिया भरोसा
शनिवार को आशा कार्यकर्ता संघ ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मुलाकात की. इस बैठक में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय ढाई गुणा बढ़ाने का भरोसा दिया है. इसके अलावा केंद्र सरकार से संबंधित अन्य मांगों पर विचार के लिए राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वास्थ्य मंत्रालय से संवाद करेंगे. इसके साथ ही आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी हड़ताल वापस लेने की घोषणा की.
इन मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने किया था हड़ताल
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राज्य में 90 हजार आशा और चार हजार आशा फैसलिटेटर 12 जुलाई से अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर थी.
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आशा कार्यकर्ता – आशा फैसिलिटेटरों को राज्य निधि से देय 1000 रुपये मासिक संबंधी सरकारी संकल्प में अंकित पारितोषिक शब्द को बदलकर नियत मासिक मानदेय किया जाए और इसे बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया जाए.
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सरकारी संकल्प के अनुरूप इस मद का वित्तीय वर्ष 19-20 (अप्रैल 19 से नवंबर 20 तक) का मासिक 1000 रुपया का बकाया राशि का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए.
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अश्विन पोर्टल से भुगतान शुरू होने के पूर्व का सभी बकाया राशि का भुगतान किया जाए.
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आशा कार्यकर्त्ताओं- आशा फैसिलिटेटरों को देय प्रोत्साहन-मासिक पारितोषिक राशि का अद्यतन भुगतान सहित इसमें एकरूपता -पारदर्शिता लाई जाये. साथ ही कमिशनखोरी में सख्ती से रोक लगायी जाए.
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आशाओं को दी जाने वाली साड़ी के साथ ब्लाउज, पेटीकोट तथा ऊनी कोट की व्यवस्था की जाए. साथ ही फैसिलिटेटर के लिए भी पोशाक का निर्धारण और उसकी राशि भुगतान की जाए.
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आशा कार्यकर्ता व आशा फैसिलिटेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए
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कोरोना की वजह से मृत आशाओं व फैसिलिटेटर को राज्य योजना का 4 लाख और केंद्रीय बीमा योजना का 50 लाख का भुगतान किया जाए
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आशा कार्यकर्ता-आशा फैसिलिटेटर को भी सामाजिक सुरक्षा योजना, पेंशन योजना का लाभ दिया जाए
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जनवरी 2019 के समझौते के अनुरूप मुकदमों की वापसी सहित अन्य अ-कार्यान्वित बिन्दुओं को शीघ्र लागू किया जाए
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आशा से लिए जाते हैं 65 प्रकार के काम
मालूम हो को आशा फैसलिटेटर को राज्य सरकार एक हजार रुपये पारितोषिक देती है जबकि केंद्र सरकार की ओर से प्रति दिन छह सौ रुपये के हिसाब से क्षेत्र भ्रमण की राशि दी जाती है. फैसलिटेटर को कुल सात हजार मिलता है. इसी प्रकार से आशा कार्यकर्ता को केंद्र सरकार की ओर से दो हजार और राज्य सरकार की ओर से एक हजार पारितोषिक दिया जाता है. इसके अलावा आशा से 65 प्रकार के काम लिये जाते हैं, जिसके लिए अलग-अलग कार्यक्रम के लिए अलग-अलग राशि इंसेंटिव के रूप में दी जाती है. अब उनकी मांगों पर सरकार विचार करेगी.
संघ ने प्रेस कांफ्रेंस कर दी जानकारी
दूसरी ओर बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) अध्यक्ष शशि यादव ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अब आशा व आशा फैसिलिटेटर भी राज्य सरकार की मानदेय कर्मी हो गयी है, मानदेय कर्मी कहलाना बिहार के एक लाख आशकर्मियों के स्वाभिमान और उनकी मर्यादा से जुड़ी बात है. उन्होंने कहा कि सभी बकाया, ड्रेस में राशि बढ़ाने, मुकदमों की वापसी सहित अन्य मांगों पर सकारात्मक निर्णय हुआ है.