Bihar: विधान परिषद में भावुक हुए अशोक चौधरी, आचार समिति को सौंपा गया असंसदीय शब्दों का मामला
उन्होंने कहा कि इस तरह के घटनाक्रम परिषद की गरिमा के खिलाफ हैं. परिषद की मर्यादा सबसे ऊंची है. यह भी कहा कि मंत्री के अपने खिलाफ अशोभनीय शब्द के इस्तेमाल होने पर मर्माहत होना स्वाभाविक है. इस मामले में न्याय होगा.
पटना. पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को ”अनपढ़” कहने और उनकी तरफ से जदयू के कुछ मंत्रियों और विधान पार्षदों के खिलाफ कहे गये अभद्र शब्दों पर गुरुवार को विधान परिषद की दूसरी पाली में जबरदस्त हंगामा हुआ. हंगामा रोकने के लिए सभापति को खड़े होकर कार्यवाही का संचालन करना पड़ा. अंत में राजद के दोनों विधान पार्षद डॉ सुनील कुमार सिंह और राम वली सिंह सदन से वाक आउट कर गये.
आचार समिति को सौंप
अंत में सभापति अवधेश नारायण सिंह ने यह मामला परिषद की आचार समिति को सौंप दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह के घटनाक्रम परिषद की गरिमा के खिलाफ हैं. परिषद की मर्यादा सबसे ऊंची है. यह भी कहा कि मंत्री के अपने खिलाफ अशोभनीय शब्द के इस्तेमाल होने पर मर्माहत होना स्वाभाविक है. इस मामले में न्याय होगा.
हमें अपमानित किया जा रहा है
इससे पहले मंत्री अशोक चौधरी ने सदन में भावुकता पूर्ण संबोधन में कहा कि विपक्ष के नेताओं ने महादलितों और अल्पसंख्यकों का अपमान किया है. यह बेहद शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि महादलित नेता के रूप में हम लोग जैसे-तैसे उच्च वर्ग के साथ खड़े हुए हैं. इसलिए हमें अपमानित किया जा रहा है. मेरे लिये जिस शब्द का इस्तेमाल हुआ,वह आहत करने वाला है. उन्होंने मुख्यमंत्री की सफल नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मैं ऐसे मुख्यमंत्री के साथ काम कर रहा हूं, जिसकी प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक कार्यक्रमों को देश ही नहीं दुनिया में सराहा गया है.
स्कूल से अनुशासन आता है
इसके बाद चौधरी ने अपने शैक्षणिक रिकार्ड के आधार पर बोला कि मैंने राजनीति विज्ञान में पीएचडी की है. देश और दुनिया के तमाम विश्वविद्यालयों में मेरे रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं. इसके बाद भी ऐसे लोग मुझे अपमानित कर रहे हैं, जिन्होंने स्कूल के दर्शन नहीं किये हैं. स्कूल से अनुशासन आता है. इन लोगों ने हिंदी के शब्दों का अनुशासन नहीं बल्कि संपत्ति बटाेरने की पढ़ाई की है. इस दौरान विपक्ष के सदस्य के रूप में केवल कांग्रेस पार्षद समीर सिंह सदन में मौजूद रहे. हालांकि कार्यवाही शुरू होने के तत्काल बाद विधान पार्षद सुनील सिंह ने विधानसभा में मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के विवाद को उठाना चाहा,लेकिन सभापति ने सख्ती से इसकी अनुमति नहीं दी. सत्ता पक्ष ने भी इसका कड़ा प्रतिवाद किया.