मुजफ्फरपुर के चर्चित प्रॉपर्टी डीलर आशुतोष शाही हत्याकांड मामले में जख्मी तीसरे बॉडीगार्ड ने भी दम तोड़ दिया. ओंकारनाथ सिंह की मौत सोमवार को हो गयी. सारण जिले के अमनौर निवासी ओंकारनाथ को गोली लगी थी और गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराए गए थे. इस तरह केस के अंतिम आई विटनेस की भी मौत हो गयी. पटना में उनकी रीढ़ की हड्डी में फंसी गोली निकाली गयी थी. वहीं अब इस आशुतोष शाही हत्याकांड की जांच की कमान सीआईडी ने संभाल ली है.
तिरहुत रेंज के आइजी पंकज सिन्हा व एसएसपी राकेश कुमार ने इस हत्याकांड की जांच सीआइडी से कराने की अनुशंसा की थी. जिसके बाद पुलिस मुख्ययालय ने इसपर मुहर लगा दी. सीआइडी की ओर से इंस्पेक्टर अशोक झा सोमवार को नगर थाने पहुंचे थे. कई जानकारी उन्होंने ली.
आशुतोष शाही के ससुर चंद्रभूषण मिश्रा ने कहा कि सीआइडी को जांच मिली है, उसपर भरोसा है. एक जूनियर वकील जो घटना स्थल पर मौजूद था. उससे पुलिस पूछताछ नहीं कर रही है. वही पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी देगा. चंद्रभूषण मिश्रा ने यह भी बताया कि सरकार, कानून व न्यायपालिका पर भरोसा है. सीआइडी आगे की कार्रवाई करें, क्योंकि उनके परिवार में कोई रहा ही नहीं. लास्ट में जाकर कुछ होता नहीं है, जो आरोपी है, हो सकता है उसे बेल मिल जायेगा. वह फ्री हो जायेगा. अब पूरा उम्मीद न्यायपालिका व सरकार से है.
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जानकारी हो कि आशुतोष शाही की हत्या के बाद उनकी पत्नी दीपांदिता की लिखित शिकायत पर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें गैंगस्टर मंटू शर्मा, गोविंद, रणंजय उर्फ ओंकार, शेरू अहमद, अधिवक्ता कासिम हुसैन उर्फ डॉलर व प्रॉपर्टी डीलर विजेंद्र उर्फ विक्कू शुक्ला को नामजद व अन्य अज्ञात को आरोपी बनाया था. पुलिस ने इस मामले में विक्कू शुक्ला, शेरू अहमद को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था.
वहीं, अधिवक्ता का पुलिस की अभिरक्षा में पटना में इलाज चल रहा है. प्राथमिकी में आशुतोष शाही की पत्नी ने यह भी बताया था कि हत्याकांड की साजिश में और भी लोग हो सकते है. जिसकी जानकारी मिलने के बाद पुलिस को बताने की बात कही थी. अब जांच सीआइडी के हवाले हो गयी है. सीआइडी जब घटना के संबंध में दीपांदिता से विस्तृत जानकारी जुटाएगी. सीआइडी की जांच से इस केस के अनुसंधान में कई खुलासे होने की संभावना है.
गार्ड निजामुद्दीन को गोलियों से छलनी करने के बाद अपराधी उसका रिवॉल्वर लूट कर ले गये थे या फिर घटनास्थल पर मौजूद भीड़ में शामिल किसी असामाजिक तत्व के द्वारा रिवॉल्वर को गायब कर दिया गया था. घटना के दस दिन बाद भी यह सवाल उलझा हुआ है. स्थानीय लोगों का पुलिस ने बयान दर्ज किया है. इसमें अपराधी गोली फायर करने के बाद सीधे बाइक पर बैठकर फरार हो जाने की बात कही जा रही है. कई चौक चौराहे पर भी हथियार गायब किये जाने की चर्चा है. अब सीआइडी की जांच में यह स्पष्ट होगा कि रिवॉल्वर अपराधी लूटकर ले गये थे. या भीड़ में शामिल किसी व्यक्ति के द्वारा गायब कर दिया गया था. इसके अलावे गार्ड ओमनाथ सिंह का गायब मोबाइल का भी कुछ सुराग नहीं मिला है. इसपर भी सीआइडी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
सीआइडी को जांच सौंपने से पहले सोमवार की शाम नगर थाने की पुलिस ने घटना स्थल से जब्त साक्ष्य को एफएसएल जांच के लिए भेजने को कोर्ट में अर्जी दाखिल की. केस के आइओ सह नगर थानेदार श्रीराम सिंह की ओर से दाखिल अर्जी पर देर शाम कोर्ट से अनुमति मिल गयी है. जिस साक्ष्य को भेजा जाना है उसमें खून लगा बेडशीट, खोखा, पिलेट, जिंदा कारतूस, गार्ड का राइफल, कारतूस, एफएसएल के वैज्ञानिकों द्वारा लिये गये सैंपल आदि शामिल है. इसको मंगलवार को एफएसएल भेज दिया जाएगा.
आशुतोष शाही व उनके दोनों बॉडी गार्ड के पोस्टमार्टम के बाद जो डेड बॉडी से पिलेट निकला था उसको एसकेएमसीएच के एफएमटी के डॉक्टरों के द्वारा सुरक्षित रखा गया है. बताया जाता है पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ पिलेट को टैग करके भेजा जायेगा. हालांकि, नगर थाने की पुलिस ने सोमवार को मेडिकल ओपी प्रभारी को बॉडी से बरामद पिलेट की जब्ती सूची तैयार करने को कहा था. इस बाबत एसकेएमसीएच के एफएमटी के डॉक्टरों से बातचीत भी की गयी है.
सीआइडी के दो पदाधिकारी इंस्पेक्टर अशोक कुमार राय और दारोगा शंकर सिंह रविवार को नगर थाने पहुंचे थे. दोनों पदाधिकारियों आशुतोष शाही हत्याकांड की एफआइआर, जब्ती सूची, दोनों आरोपी के स्वीकारोक्ति बयान और समीर हत्याकांड की केस की फाइल अपने साथ ले गयी थी. अब सीआइडी को केस सौंपने का आदेश मिल गया है. इससे जांच में तेजी आने की संभावना है.