प्रभात खास : बराबर की गुफाओं को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने की तैयारी शुरू, ASI यूनेस्को को भेजेगा प्रस्ताव
अगले चार-पांच माह के अंदर यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा जायेगा. प्रस्ताव को पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण निदेशालय को भेजा जायेगा. इसके बाद निदेशालय यूनेस्को को भेजेगा.
सुबोध कुमार नंदन, पटना. जहानाबाद स्थित विश्व प्रसिद्ध बराबर की गुफाओं को विश्व धरोहर का दर्जा देने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (बिहार सर्किल) संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को प्रस्ताव भेजने के लिए के मसौदा तैयार किया जा रहा है. इस कार्य में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के वरीय पुराविदों की टीम लगी हैं. ज्ञात हो कि इससे पूर्व बोध गया स्थित महाबोधि मंदिर (2002) और विश्व प्रसिद्ध प्राचीन नालंदा विवि के खंडहर (2016) को यूनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया था. इसके सात साल बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस बार बराबर की गुफाओं को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है.
यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा जायेगा
मिली जानकारी के अनुसार अगले चार-पांच माह के अंदर यूनेस्को को प्रस्ताव भेजा जायेगा. प्रस्ताव को पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण निदेशालय को भेजा जायेगा. इसके बाद निदेशालय यूनेस्को को भेजेगा. अधिकारियों की मानें, तो नालंदा विश्वविद्यालय को विश्व धरोहर में शामिल कराने को लेकर पांच सालों तक इंतजार करना पड़ा था. पुराविदों को कहना है कि विश्व स्तर पर देखा जाये, तो बराबर की गुफाओं जैसी कोई प्राचीन गुफा नहीं है, जो मानवकृत हो.
विश्व में मानवकृत सबसे प्राचीन गुफा बराबर
पुराविदों ने बताया कि विश्वविख्यात बराबर नागार्जुनी पहाड़ियां की गुफाएं ‘सतघरवा’ नाम से लोकप्रिय हैं. सतघरवा का अर्थ है सात-गुफाएं. विश्व में मानवकृत सबसे प्राचीनत गुफा बराबर को ही माना जाता है. इन गुफाओं का संबंध लोमश, गौतम, दुर्वासा, शृंगी आदि ऋषियों से भी जोड़ा जाता है. बराबर की दो गुफाओं के निर्माण में अपने राज्याभिषेक के 12वें वर्ष में सम्राट अशोक और जैन सम्राट संप्रति की भी भूमिका थी. इस गुफा का उपयोग निग्रंथ आजीवक साधुओं द्वारा किया जाता था. तीसरी गुफा का निर्माण ईसा पूर्व 251 वर्ष में किया गया. चट्टान काट कर बनायी गयीं सात गुफाएं हैं, जिनमें चार बराबर पहाड़ और तीन नागार्जुनी पहाड़ पर अवस्थित हैं. इन गुफाओं की कलात्मकता, मेहराबदार छतों एवं गुफा-कलाओं में निहित हैं. पॉलिश अत्यंत चिकनी और चमकदार है. कुछ गुफाओं में सम्राट अशोक और उसके पौत्र दशरथ के अभिलेख भी मिले हैं.