Bihar News: गया के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में फाइलेरिया के प्रसार की जांच करने के लिए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे का काम किया जायेगा. यह सर्वे 15 नवंबर से प्रारंभ होगा तथा 22 नवंबर तक चलेगा. इसके लिए सभी प्रखंडों के 104 स्कूलों का चयन किया गया है. ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे में विशेष रूप से कक्षा एक तथा दो में पढ़नेवाले बच्चों के रक्त के नमूने प्राप्त किये जायेंगे. इसके बाद रक्त की जांच कर फाइलेरिया परजीवी के मौजूद होने का पता लगाया जायेगा.
इसे लेकर शहर के जयप्रकाश नारायण अस्पताल सभागार में संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सहित सहयोगी संस्थाओं के कर्मियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन किया गया. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान फाइलेरिया जांच के संबंध में आवश्यक जानकारी दी. इस दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ राजेश पांडेय तथा डॉ अरुण कुमार, पीसीआई से अशोक सोनी और गौरव कुमार एवं केयर इंडिया से अमर कुमार मौजूद रहे.
कल से प्रखंडों में होगा सर्वे
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने बताया कि 15 नवंबर से सभी प्रखंडों के चयनित 104 स्कूलों में फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे का प्रारंभ होगा. इस सर्वे में चिह्नित लगभग छह हजार बच्चे शामिल होंगे. बच्चों के रक्त के नमूने लेकर एक विशेष जांच किट की मदद से फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगायेगी. उन्होंने कहा कि इस सर्वे के लिए संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है. साथ ही अभिभावकों को फाइलेरिया संक्रमण से बचाव और प्रसार दर के बारे में आवश्यक जानकारी दी जायेगी, ताकि चिह्नित बच्चों के रक्त जांच पर उनकी सहमति प्राप्त हो सके. उन्होंने इस कार्य में अभिभावकों की सहभागिता की अपील की.
तैयार किया गया है माइक्रोप्लान
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया प्रसार दर का पता लगाने के लिए खून की जांच और सर्वे से संबंधित माइक्रोप्लान तैयार किया गया है. वहीं पीसीआई द्वारा मोबिलाजेशन का काम किया जा रहा है, ताकि इस सर्वे में अधिक से अधिक बच्चों को शामिल कर उनके रक्त की जांच की जा सके. अभिभावकों को सेंसिटाइज कर इस काम में उनकी जरूरी सहभागिता की अपील की गयी है. मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के बाद यह सर्वे किया जाना आवश्यक है. यह प्रक्रिया सरकार व विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टैंडर्ड टास्क प्रोटोकॉल के अंतर्गत पूरी की जायेगी.
Posted by: Radheshyam Kushwaha