पटना. शराबबंदी को लेकर बिहार में गठित 74 विशेष कोर्ट के सक्रिय होने से शराबबंदी से जुड़े लंबित मामलों के निबटारे की बड़ी उम्मीद जगी है. फिलहाल सामान्य न्यायालयों में ही इसकी सुनवाई होने से सिर्फ जमानत से जुड़े मामलों की सुनवाई ही संभव हो पा रही थी.
इससे केसों का संज्ञान, ट्रायल, सजा व रिहाई से जुड़ी प्रक्रिया लंबित थी. न्यायालय से जुड़ेविशेषज्ञों की मानें, तो इन 74 विशेष कोर्ट में प्रतिदिन जमानत आवेदनों के साथ ही कम- से -कम चार केसों का ट्रायल भी हुआ, तो महीने के औसत 20 कार्यदिवस में छह हजार से अधिक केसों का ट्रायल करते हुए अधिक से अधिक मामलों पर विचार किया जा सकेगा.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक शराबबंदी कानून लागू होने के बाद 25 दिसंबर 2021 तक सूबे में इससे जुड़े 3.41 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं. इनमें करीब 2.03 लाख मामलों में ही कोर्ट ने संज्ञान लिया है. करीब 1.38 लाख मामलों पर अब तक संज्ञान नहीं ला जा सका है.
चंपारण में सबसे अधिक मामले दर है. बिहार में सबसे अधिक मामले चंपारण इलाके में दर्ज किये गये हैं. पूर्वी चंपारण में सर्वाधिक 14 हजार से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. सबसे अधिक 128 लोगों को सजा भी यही दिलायी गयी है. इसके अलावा पश्चिमी चंपारण में 11 हजार से अधिक, औरंगाबाद व सीवान में आठ हजार से अधिक, जबकि रोहतास, नालंदा, भागलपुर व पूर्णिया में सात हजार से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं.
संज्ञान के लंबित मामलों में अधिकतर पटना के हैं. पूरे राज्य में संज्ञान के लिए लंबित 1.38 लाख केस में सर्वाधिक 38.5 हजार मामले पटना के हैं. पटना में पुलिस के 33268, जबकि उत्पाद विभाग के 5240 केसों में संज्ञान नहीं हुआ है.
74 विशेष कोर्ट में सबसे अधिक चार विशेष कोर्ट पटना में है. इसको देखते हुए 74 विशेष कोर्ट में सबसे अधिक चार विशेष कोर्ट पटना में बने हैं. इन कोर्ट के गठन से अब अनुमंडल स्तर पर इन केसों की जल्द -से -जल्द सुनवाई का मार्ग प्रशस्त होगा. पटना के साथ ही मुजफ्फरपुर में 10 हजार से अधिक, सारण में आठ हजार से अधिक, जबकि गया में 6800 से अधिक मामले संज्ञान की प्रतीक्षा में हैं. गया में तीन न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई है.